बिलासपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : एक तरफ तो वे JEE और NEET के एग्जाम के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी विरोध कर रहे हैं। दूसरी ओर खुद कांग्रेस शासित राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है।
सितंबर मास में लोक सेवा आयोग के द्वारा सिविल जज की मुख्य परीक्षा का आयोजन तिथि की घोषणा कर दी गई है। 6 माह में विद्यार्थियों को कोरोना आए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने का अवसर नहीं मिला। कोचिंग संस्थान भी बंद है। महीनों किताब दुकानें भी बंद रही। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कोरोनावायरस काल में प्रतियोगियों की मानसिक पीड़ा और प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयार के लिए राज्य सरकार को ख्याल नही आया ।
भाजयुमो नेता रौशन सिंह ने कहा सिविल जज की मुख्य परीक्षा का आयोजन छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के द्वारा 21 सितंबर कोरोनकाल में रखा गया है। राज्य सरकार को अविलंब परीक्षा की तिथि बढाना चाहिए। विभिन्न जिलों के लिए खेल विभाग में क्रीड़ा अधिकारी भर्ती के साक्षात्कार और ग्रंथपाल भर्ती परीक्षा के साक्षात्कार परीक्षा पी एस सी से सितंबर मास में रखी गई है। सहायक प्राध्यापक मनोविज्ञान के लिए उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा भर्ती परीक्षा का साक्षात्कार सितंबर मास में रखा गया है। वन सेवा भर्ती परीक्षा में रेंजर और असिस्टेंट कंजरवेटर फॉरेस्ट के पद के लिए भर्ती परीक्षा 20 सितंबर को आयोजित की गई है जिसके लिए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा तिथि में बदलाव करने हेतु निर्देश दिया गया है।
छत्तीसगढ़ की सरकार को यह बताना चाहिए कोरोना काल में प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन राज्य में किया जा रहा है तो प्रतियोगियों की तैयारी और उनकी कोरोना काल में मानसिक पीड़ा का ध्यान क्यों नहीं रखा गया? एक तरफ सेंट्रल पीईटी और पीएमटी जिसे जे ई ई और नीट के नाम से जाना जाता है उसका तो कांग्रेस शासित राज्यों के द्वारा विरोध किया जा रहा है लेकिन राज्यों में भी खुद भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कर रहे हैं।
प्रतियोगियों की आड़ में कांग्रेस जन अपने विरोध का एजेंडा सामने लाकर अपनी नेतागिरी चमकाने का प्रयास कर रहे हैं। महामारी की पीड़ा से राज्य के प्रतियोगी छात्रों और स्कूली बच्चों को खतरे में क्यों डाला जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में लाखों छात्रों और शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए कोरोना काल में पारा मोहल्ले और बसाहटों में तुहर पारा सामुदायिक स्कूल शिक्षा सचिव के निर्देश पर लगाया जा रहा है। छोटे-छोटे बच्चे और गुरुजी गांव के विभिन्न जगहों पर जहां सफाई और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम भी ना हो जैसे तैसे करके बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं।
कांग्रेस की सरकार का दोहरा चरित्र सामने आ चुका है मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त को सरकारी स्कूलों की शिक्षा में नवाचार जोड़ कर पीछे के दरवाजे से सरकारी स्कूल चलाने का घोषणा करते है।अब बताएं कि राज्य के छोटे-छोटे लाखों बच्चे कोरोना से अगर संक्रमित हुए तो इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार लेगी क्या ? उसी स्थिति में स्कूल शिक्षा सचिव स्वेच्छा से शैक्षिक संचालन की बात कर रहे हैं। खतरे की स्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव स्वयं को शिक्षा के संचालन के नाम पर विकल्प देते हुए पल्ला झाड़ लेते हैं और दूसरी ओर अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से गांव गांव और शहर शहर स्कूली बच्चों को पारा मोहल्ले और बसाहट में पढ़ाने के लिए दबाव डाला जा रहा है। कांग्रेस के नेता बताएं ऐसी स्थिति में बच्चों को खतरे में क्यों डाला जा रहा है..?
भाजयुमो नेता ने कहा कि राज्य की सरकार के द्वारा प्रतियोगी परीक्षा के विद्यार्थियों के साथ हो रहा है मजाक को बंद कर पहले चीजों को बढ़ाना चाहिए और पारा मोहल्ले में लग रही दिखावे की पाठशाला को महामारी के संक्रमण समय हुए लाखों छात्र छात्राओं एवं शिक्षकों के स्वास्थ्य एवं जानमाल से खिलवाड़ बंद करना चाहिए ।
ऐसे फैसलों को आखिर प्रदेश की सरकार रद्द क्यों नहीं करती है?प्रतियोगी परीक्षा और स्कूल शिक्षा की पढ़ाई में राहुल गांधी जी के विचारधारा और मुख्यमंत्री जी के विचारधारा में मेल क्यों नहीं हो रहा है।
रौशन सिंह
जिला कार्यसमिति सदस्य भाजयुमो बिलासपुर