सूरजपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) शांतनु सिंह: शासन की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं जमीनी हकीकत में आने से पहले ही दम तोड़ने लगती है, लेकिन सूरजपुर जिले में नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना के तहत तैयार किए गए गौठानों के मवेशियों के गोबर से बायोगैस तैयार हो रही है तो वहीं दूसरी ओर बायोगैस में उपयोग होने वाले गोबर से खाद भी तैयार हो रहा है. जिसकी बिक्री कर ग्रामीण परिवार आय भी कमा रहे है.
जिले के 11 गौठानों में गोबर गैस संयंत्र
दरअसल सूरजपुर जिले के 11 गौठानों में गोबर गैस संयंत्र स्थापित किया गया है. जहां मवेशियों के गोबर से बायोगैस तैयार की जाती है, और ग्रामीणों के घरों तक पाइप कनेक्शन के जरिए बायोगैस पहुंचाई जाती है.इस सुविधा के बाद ग्रामीण महिलाओं को न तो लकड़ी के लिए और न ही गैस सिलेंडर के लिए बाहर जाने की जरूरत पड़ी. जिससे महिलाओं को मुफ्त में ईंधन भी मिला.
कई परिवारों को मिल रहा मुफ्त में ईंधन
ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन के जिला सलाहकार संजय सिंह ने बताया कि जिले के गौठानों में स्थापित किए गए 11 बायोगैस संयत्र से एक गांव में दो दर्जन से ज्यादा परिवारों को गैस का लाभ मिल रहा हैं. इसके साथ ही निजी तौर पर भी कई ग्रामीण परिवार बायोगैस प्लांट स्थापित कर इसका लाभ ले रहे है.