सात अगस्त तक मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह ’’स्तनपान की रक्षा: एक साझी जिम्मेदारी’’ थीम पर होगा आयोजन


कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अगस्त का पहला सप्ताह 01 अगस्त से सात अगस्त 2021 तक विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम ’’ स्तनपान की रक्षा- एक साझी जिम्मेदारी’’ निर्धारित की गई है।सप्ताह के दौरान ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में शिशुवती माताओं को स्तनपान के लाभ बताते हुए प्रोत्साहित किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी. बी. बोडे ने बताया कि शिशु के लिए माँ का दूध अमूल्य है। स्तनपान शिशु के मानसिक विकास के साथ-साथ डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने तथा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्तनपान जरूरी है। डॉ. बी. बी. बोडे ने बताया कि जन्म के एक घण्टे भीतर तथा छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए। छह माह पूर्ण होने पर पूरक पोषण आहार देने के साथ-साथ दो वर्ष तक स्तनपान कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि माँ का पहला गाढ़ा दूध शिशु के लिए लाभकारी होता है। यह विटामिन ’ए’ एवं पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ बच्चों के पेट एवं आंत को साफ करता है तथा कई रोगों से बचाता है। जन्म के पहले छह महीने तक बच्चे को माँ का दूध पिलाने से दस्त तथा निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाया जा सकता है, साथ ही यह बच्चे के मानसिक विकास में भी सहायक होता है। स्तनपान से शिशु एवं बाल जीवितता पर अहम प्रभाव पड़ता है, जिन शिशुओं को एक घण्टे के अन्दर स्तनपान नहीं कराया जाता हैं उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती हैं। डॉ. बोडे ने बताया कि स्तनपान कराने से न केवल बच्चे को बल्कि माँ को भी इसका फायदा मिलता है। स्तनपान शिशुवती माताओं के प्रसव उपरांत खून के बहाव को रोकता है तथा खून में कमी होने से बचाता है। स्तनपान से शिशुवती माताओं के स्तन और अण्डेदानी के कैंसर होने के खतरे से भी बचा जा सकता है।
सीएमएचओ ने स्तनपान के दौरान घर के बुजुर्गों, अन्य सदस्यों के साथ-साथ पुरूषों को भी अपनी सहभागिता एवं जिम्मेदारी निभाने की अपील की है ताकि शिशुवती माताएं अपने बच्चों को स्तनपान कराकर पर्याप्त रूप से पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता दे सकें। डॉ. बोडे ने अपील की है कि शिशुवती महिलाओं के प्रति बच्चे को स्तनपान कराने में उनका सहयोग करें, घर के कार्यों में शिशुवती माताओं की मदद करें ताकि बच्चे को स्तनपान कराने के लिए माँ को ज्यादा समय मिल सके। परिवार के लोग भी शिशुवती माताओं को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करें।
स्तनपान सप्ताह के लिय इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान की रक्षा एक साझी जिम्मेदारी ’’प्रोटेक्ट ब्रेस्टफिडिंग: अ रेसपांसबिलिटी’’ इस बात पर जोर देती हैं कि स्तनपान पूरी दुनिया भर में सभी के अस्तित्व, स्वास्थ्य और देखभाल में अपना योगदान देती है। स्तनपान की सुरक्षा पूरी मानव जाति की जिम्मेदारी हैं। माँ का दूध अमृत समान होता है। इसका सेवन हर बच्चे का हक है। माँ भी पहली बार जब बच्चे को स्तन से लगाती है प्रसव पश्चात् होने वाली समस्त पीड़ा को भूल जाती है। स्तनपान माँ और बच्चे दोनों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।