- बालको की राखड़ परिवहन ठेका देख रही आयुष एंड कंपनी के हाइवा ने बाइकसवार को कुचला, हालत गंभीर, प्रशासन मौन
कोरबा। कभी एल्यूमिनियम के लिए देश का गौरव रहे ऊर्जा नगरी कोरबा का एक हिस्सा यानी बालकोनगर आज मानों उद्योगपतियों की जागीर बन चुका है। जहां प्लांट का राखड़ का फिजा में जहर घोल कर धीरे धीरे दम घोंट रहा, वहीं बालको की छत्रछाया में चांदी काट रही ठेका कंपनियों के भारी वाहन सड़क पर लहू बहाते मौत बनकर दौड़ रहे हैं। जिस तरह से आए दिन लोग कुचले जा रहे हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि आम आदमी की जिंदगी कीमत न तो बालको प्रबंधन के लिए कोई मायने रखता है और न ही जिला प्रशासन को इससे कोई सरोकार है। यही वजह है जो बालको की मनमानियों के खिलाफ जिले के आला अधिकारी भी मौन होकर मूक दर्शक बने तमाशा देखते खड़े नजर आते हैं।
जिला प्रशासन की इस अनदेखी और बालको कंपनी की बेपरवाह व्यवस्था का शिकार बनाकर बुधवार को एक और निर्दोष सड़क पर मौत बनकर दौड़ते भारी वाहन का शिकार बना। परसाभांठा चौक पर बालको के राखड़ परिवहन का ठेका देख रही ट्रांसपोर्ट कंपनी आयुष एंड कंपनी के हाइवा ने एक बाइक सवार को अपनी चपेट में ले लिया। बुरी तरह कुचले जाने से बाइकसवार की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। यह घटना कोई नई बात नहीं है। इस मार्ग पर बालको कंपनी के लिए काम करने वाले भारी वाहनों की कतार और ट्रैफिक जाम की दमघोटू परेशानी से पूरा क्षेत्र परेशान है। खासकर सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाले परसाभाठा क्षेत्र में आम लोगों, बालकोनगर के नागरिक, श्रमिक, बाजार आने वाले, बस्तीवासी और कर्मचारियों समेत स्कूली बच्चे भी बड़ी संख्या में आना जाना करते हैं। बावजूद इसके यहां भारी वाहनों के नियंत्रित और सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था सुनिश्चित करने किसी प्रकार के गंभीर उपाय तो दूर कोई सोचने के लिए भी तैयार नहीं। नतीजा ये कि आए दिन बड़ी दुर्घटनाएं हो रही। कोई घायल हो रहा तो कोई बेवक्त मौत का शिकार बन रहा है।
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ट्रकों में क्षमता से अधिक लोडिंग का खेल, बालको अफसरों और परिवहन विभाग में भी है कोई मेल
बालको की राखड़ ठेका कंपनी आयुष एंड कंपनी संचालक की हाइवा के पहिए के नीचे आकर बालको परसा भाठा में बाइकसवार युवक बुरी तरह घायल हो गया। कुचले गए युवक की हालत गंभीर बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि बालको के राखड़ और ऊर्जा प्रबंधन प्रमुख एवं ट्रांसपोर्टर की मिलीभगत से लगातार नियम विरुद्ध परिवहन कराया जा रहा है। ट्रकों में क्षमता से अधिक राखड लोड कर राखड़ की काला बाज़ारी का अंधा खेल पिछले कई सालों से खेला जा रहा है। बार बार हादसे, नियम कायदों की धज्जियां राखड में उड़ाई जा रही हैं पर कार्रवाई का अंकुश लगाने की बजाय जिला प्रशासन एवं संबंधित विभाग जानकर भी अनदेखा करने में जुटा हुआ है।राखड फेंकने के इस खेल में बालको प्रबंधन के अधिकारी भी मोटी कमाई के फेर में क्षमता और सीमा से अधिक फेरा लगवा रहे हैं, जिस पर परिवहन विभाग की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है।
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49 % हिस्से में सड़क, जल-जंगल सब कब्जे में, 51% मालिक पर प्रशासन मौन
49 प्रतिशत हिस्सेदारी लेकर भी बालको प्रबंधन बेधड़क कब्जे किए जा रहा है। कुछ साल पहले पूरी की पूरी सड़क कब्जे में ले लिया गया और लोग चिल्लाते रह गए। शासन के 52 प्रतिशत मालिकाना हक के बाद भी प्रशासन तब भी चुपचाप देखता रहा। वर्तमान में क्षेत्र के जंगल, नाले और बहुत कुछ में कब्जे पर कब्जा जारी है और प्रशासन मौन है। नगर निगम, जिला प्रशासन, पर्यावरण संरक्षण मंडल और ऐसे कई विभाग हैं, जहा शिकायती फाइलें भरी पड़ी हैं। पर कार्रवाई के नाम पर कुछ किया गया तो सिर्फ नोटिस नोटिस का कागजी खेल।