सरकार सुनिश्चित करें कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की ना हो मौत : हाईकोर्ट


बिलासपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़): 
छत्तीसगढ़ में कोरोना के हालात से निपटने के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट (High Court Of Chhattisgarh) में दायर जनहित याचिका (PIL) पर कोर्ट ने राज्य सरकार को कई अहम निर्देश जारी किए हैं. HC ने ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति, RT-PCR की समय पर रिपोर्ट, मरीजों को बेड उपलब्धता, रेलवे आइसोलेशन कोच के उपयोग समेत कई बिंदुओं पर निर्देश दिए हैं.

ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत न हो

जनहित याचिका पर निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि ऑक्सीजन कमी (lack of oxygen)से किसी मरीज की मौत न हो. चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने अपना फैसला जारी करते हुए कहा है कि उद्योगपतियों से सरकार सामंजस्य बनाए. जिससे ऑक्सीजन और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद मिले.

24 घंटे में मिले RT-PCR रिपोर्ट

हाईकोर्ट में दायर कई जनहित याचिकाओं में से एक कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी की हस्तक्षेप याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि RT-PCR जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड होने में देरी हो रही है. ऐसे में सरकार व्यवस्था करे कि मरीज को उसकी रिपोर्ट 24 घंटे में भेजी जा सके. मसलन अस्पताल मरीजों को RT-PCR रिपोर्ट वॉट्सएप या ई-मेल के जरिए भेज सकते हैं. ताकि उनका इलाज जल्द से जल्द शुरू हो सके.

टेस्ट दर तय करे राज्य सरकार

कोर्ट ने ऑक्सीजन, एंटीजन, RT-PCR और दूसरे जांच की दर निर्धारित करने के भी आदेश सरकार को दिए हैं. वहीं बेड को लेकर वेबसाइट तैयार करने का आदेश सरकार को जारी किया है. ताकि लोगो को उनके जिले में मौजूद अस्पतालों में उपलब्ध बेड की जानकारी मिल सके.


फिलहाल रेलवे आइसोलेशन कोच की जरूरत नहीं

गैरतलब है की कोर्ट में बीते दिनों वकील पलाश तिवारी ने मांग रखी थी कि रेलवे की ओर से तैयार 111 आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल मरीजों के लिए किया जाए. इस पर कोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्य और रेलवे की बैठक हो गई है. राज्य को अभी इन कोच की जरूरत नहीं है. जब आवश्यकता होगी, तब रेलवे को राज्य के नोडल अधिकारी अपनी जरूरत के हिसाब से प्रतिवेदन देंगे.

कलेक्टर अपने अधिकारों का करें पूरा प्रयोग

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को महामारी अधिनियम के तहत पूरी शक्ति मिली हुई है. वे महामारी रोकने के लिए महामारी अधिनियम 2005 और 2020 के तहत निर्णय लें. वहीं हाईकोर्ट ने कहा है की जेल में बंद कैदियों को संक्रमित होने की स्थिति में पैरोल पर छोड़ने के लिए निचली अदालत में आवेदन दिया जा सकता है‌. कोर्ट ने सभी विषयों पर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है.