सरकारी अस्पताल में बच्चों को मिल रहा मौत का सर्टिफिकेट, लापरवाही से 21 दिनों में दूसरे नवजात की मौत.


कोरिया(सेंट्रल छत्तीसगढ़):-  
बैकुंठपुर जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती बच्चे की सिंकाई लैंप से जलकर मौत हो गई. ऐसा ही आरोप लगाते हुए परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन को लापरवाह बताया है. उन्होंने बताया कि इससे पहले जब बच्चे को देखा था तो पूरी तरह से सही सलामत था. लेकिन रविवार को उन्हें झुलसा और मरा हुआ बच्चा थमाया. इस घटना के बाद पीड़ित गरीब के परिवार में लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है.

चिलका के रहने वाले परिवार के सदस्यों ने बच्चे की इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया था. रविवार को परिजनों को बुरी तरह से झुलसा हुआ बच्चा थमाया गया. आरोप है कि बंद शिशु वार्ड में बच्चे की सिंकाई में लापरवाही बरती गई. जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. बच्चे का झुलसा शरीर देखकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. हद तो तब हो गई कि जब अस्पताल प्रबंधन ने मृत बच्चे को परिवार के साथ घर जाने के लिए वाहन तक मुहैया नहीं कराया.

गरीब परिवार की वाहन की मांग करने पर साफ कहा गया कि अस्पताल में बैठकर बच्चे को जोहते रहो. वाहन नहीं मिलेगा. अब गरीब परिवार बच्चे की शव के साथ अस्पताल परिसर में बैठा है और दहाड़े मार रहा है.

21 दिनों में दूसरी

इससे पहले मनेंद्रगढ़ सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई थी. यहां 26 दिसंबर को एक कुत्ता नवजात शिशु को उठा ले गया. अस्पताल के बाहर लेकर कुत्ता भाग रहा था, जिसे कुछ लोगों ने देख लिया. कुत्ते को खदेड़ा गया लेकिन तबतक बच्चे ने दम तोड़ दिया था. सरकारी अस्पताल में लापरवाही की यह घटना अभी तक लोगों की जेहन से उतर भी नहीं पाया था कि रविवार को इसी तरह की दूसरी घटना सामने आ गया.