शाम ढलते शिकारियों द्वारा जंगलों में करंट प्रवाहित खुले तार का जाल बिछाकर वन्यजीवों का किया जा रहा शिकार

हिमाशु डिक्सेना (पाली):-* पाली विकासखंड अंतर्गत रहवासी इलाकों के समीप जंगल में करंट प्रवाहित खुले तारों का जाल बिछाकर वन्यजीवों का शिकार किया जा रहा है।मांसभक्षण करने वाले ग्रामीणों द्वारा जंगली जीवों के मांस खाने के लालच में ऐसा कृत्य को अंजाम दिया जा रहा है।वनांचल क्षेत्रों के ग्रामीणों द्वारा सांझ ढलते ही खंभे में खुला तार फसाकर वन्य जीव विचरण करने वाले स्थान व आसपास उस तार का जाल बिछा दिया जाता है।जहाँ चारे पानी की तलाश में विचरण करते हुए पहुँचे वन्य जीव के करंट प्रवाहित बिछे तार की चपेट में आकर मौत हो जाती है।जिसके बाद शिकारी वर्ग उस जीव को ले जाकर मांस का भक्षण करते है।

ज्ञात हो कि पाली विकासखण्ड वनांचल क्षेत्र है।जहाँ चारो ओर घनघोर हरीतिमा लिए हरियाली ही हरियाली बिखरी हुई है।वहीं क्षेत्र के जंगल से लगे खोन्द्रा जंगल से बड़े पैमाने पर हिरण,कोटरी के पहुँचने के साथ सूअर की संख्या बहुतायत में हैं जो खुले में चारो और स्वछंद विचरण करते है।ऐसे में वनांचल क्षेत्र में बसे ग्रामीण शिकारियों द्वारा इनका मांस खाने की लालच में आकर उक्त जीवों के विचरण करने वाले स्थानों पर करंट प्रवाहित खुले तारो का जाल बिछाकर खतरनाक खेल खेला जाता है।जिसकी चपेट में आने से कई बार खुद ग्रामीणों तक की जाने चली गई है।लेकिन उसके बाद भी वन्यजीवों का मांस भक्षण करने वाले ग्रामीणों को सबक नही मिली है।बीते दिनों की ही बात है पाली वन परिक्षेत्र के पोलमी स्थित कारीछापर जंगल में सूअर मांस खाने की लालच में ग्रामीणों द्वारा खंबे से खुला तार जोड़कर जंगल में करंट प्रवाहित जाल बिछा दिए जाने की जानकारी मिलने पर मौके पे पहुँचा गया जहाँ पर करंट प्रवाहित तार का जाल जंगल में खेला पाया गया।ग्रामीण इलाकों के समीप जंगलों में वन्यजीवों का विचरण रात में ही होता है।जहाँ उन्हें विघुत प्रवाहित खुला तार रात में ठीक से दिखाई नही देता।जिसके कारण वे तार के संपर्क में आ जाते है और उनकी मृत्यु हो जाती है।शिकारियों द्वारा वन्यप्राणियों के मांस खाने का यह सबसे कारगार तरकीब माना जाता है।वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारीगण दिन के उजाले में गश्ती व पेट्रोलिंग करते है जबकि शिकारियों का खेल शांझ ढलते प्रारंभ होता है।वही ग्रामो में गठित वन सुरक्षा समिति दल भी दिन में केवल जंगल की सुरक्षा को लेकर ही अपने कर्तव्यों का निर्वह करते है।वन्यजीवों के बचाव व संरक्षित की दिशा पर अपनी कोई जिम्मेदारी नही मानते।और यही सब कारण है कि शिकारियों को वन्यजीवों के शिकार करने का हौसला मिल जाता है।विभागीय अमला अपने साथ ग्रामों में गठित वन समिति को भी इस दिशा पर कार्यवाही करने हेतु सक्रीय करें।साथ ही वन्यजीव विचरण वाले क्षेत्रों में सूचना बोर्ड लगाकर वनों के साथ वन्यजीवों को नुकसान पहुँचाने पर आपराधिक धाराओं सहित सजा व अर्थदंड के प्रावधानों का उल्लेख किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।ताकि वनसंपदा सहित वन्यप्राणियों की भी रक्षा हो सके।