रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) : छत्तीसगढ़ की सियासत में शराबबंदी (liquor ban) का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है. मंत्री अमरजीत भगत (Minister Amarjit Bhagat) के बयान के बाद टीएस सिंहदेव (TS Singh deo) ने शराबबंदी को कठिन निर्णय बताया. इसके बाद अब विपक्ष इस मामले पर लगातार सरकार को घेरने में जुट गया है. जहां सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष शराबबंदी के लिए गठित कमेटी में सहयोग नहीं दे रही है, तो वहीं विपक्ष का कहना कि शराबबंदी (liquor ban in chhattisgarh) की बात सरकार ने की और इसका निर्णय उन्हें ही करना चाहिए.
शराबबंदी पर सियासत
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ( Mohan Markam) ने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल है. उस पर सरकार गंभीर है हमारे कार्यकाल के ढाई साल बचे हुए हैं और इन ढाई सालों में इस पर नीतिगत निर्णय लेकर विचार किया जाएगा. मरकाम ने आगे जो कहा उस पर अब विपक्ष हमलावर है. मरकाम ने गंगाजल लेकर शराबबंदी की घोषणा (liquor ban announcement) नहीं करने की बात कह दी और कहा कि सरकार ने गंगाजल लेकर किसानों का कर्जा माफ करने की कसम खाई थी, जिसे सरकार बनते ही पूरा किया गया.
आदिवासी क्षेत्र में शराबबंदी मुमकिन नहीं
मरकाम ने कहा कि, हमारे घोषणापत्र में शराबबंदी शामिल है हमारी सरकार ने जिस राज्य में शराबबंदी है, वहां के अध्ययन के लिए एक समिति बनाई है, लेकिन उस समिति में भाजपा के सदस्य शामिल नहीं हो रहे हैं. गुजरात में शराबबंदी है लेकिन वहां घर पहुंच सेवा दी जा रही है. बिहार में शराबबंदी है फिर भी वहां शराब मिल रही हैं, छत्तीसगढ़ में लगभग 60% से अधिक अनुसूचित क्षेत्र आते हैं जहां आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं, हमारे जितने भी नेग होते हैं उसमें शराब का तर्पण करते हैं. वर्तमान में शराब की जगह में महुआ के फूल को भीगा कर उसका तर्पण करते हैं. देवी-देवताओं की पूजा में यह तर्पण किया जाता है. वहां यह संभव नहीं है, लेकिन उसके अलावा अन्य जगहों पर सरकार चाहे तो शराबबंदी कर सकती है.
शराब से सरकार को मिलता है राजस्व
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि सरकार के इतने बड़े मंत्री टीएस सिंहदेव जो बात को कह रहे हैं इससे सरकार की नीयत को समझा जा सकता है. सरकार की नीयत शराबबंदी की ओर नहीं है. सरकार शराब की कमीशनखोरी में लगी हुई है. सरकार को परिवार उजड़ने की चिंता नहीं है. लोग आत्महत्या कर रहे हैं उसकी चिंता नहीं है, सरकार को अपनी चिंता है क्योंकि शराब से सरकार को मोटा कमीशन मिल रहा है.
सिंहदेव की सरकार में हो रही अनदेखी
गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि कांग्रेस घोषणा पत्र समिति के संयोजक टीएस सिंहदेव ने पहले दिन ही यह कह दिया था कि शराबबंदी करेंगे, लेकिन आज उनकी सरकार में किस तरह से अनदेखी की जा रही है उनके मर्म को भी समझा जा सकता है. बड़े दुखी मन से उन्होंने इस बात को कहा है. यह कहा जा सकता है कि प्रदेश की जनता के साथ शराबबंदी के नाम पर धोखा किया गया है. प्रदेश की जनता इसे माफ नहीं करेगी.
आदिवासियों के नाम से पीछे नहीं हट सकती सरकार
आदिवासियों के नाम पर शराबबंदी से पीछे हटती सरकार को लेकर श्रीवास का कहना है कि सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया था कि आदिवासी क्षेत्रों में शराबबंदी नहीं की जाएगी, बाकी जगह पर शराबबंदी की जाएगी. तो ऐसे में सरकार आदिवासियों के नाम पर शराबबंदी से पीछे नहीं हट सकती है.
शराब से मिलता है राजस्व
वरिष्ठ पत्रकार अनिल द्विवेदी का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का यह बयान कहीं ना कहीं उनकी मजबूरी को दर्शाता है. ढाई साल का समय बीत गया है लेकिन शराबबंदी को लेकर अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. यह दर्शाता है कि सरकार राजस्व को लेकर चिंता है. शराब से राज्य सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है, इस वजह से शायद सरकार शराबबंदी से पीछे हट रही है.
सरकार को पूरा करना होगा वादा
अनिल द्विवेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि बस्तर में आदिवासियों के लिए शराबबंदी नहीं की जा सकती. द्विवेदी ने कहा कि शराबबंदी के मामले को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. विपक्ष का यह भी कहना है कि हमने शराबबंदी का कोई वादा नहीं किया था. फिर भी हमने 500 से ज्यादा शराब दुकानें बंद की थी, लेकिन अब सरकार पर निर्भर करता है कि, उन्होंने घोषणा पत्र में जो वादा किया था उसमें शराबबंदी भी था और उसे वादे को सरकार को पूरा करना चाहिए. नहीं तो इसका खामियाजा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. द्विवेदी ने कहा कि सरकार बस्तर के आदिवासियों की आड़ में प्रदेश में शराब वितरण चालू रखना चाहती है.