कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) :- मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के दूसरे दिन मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का औपचारिक शुभारंभ किया। रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस योजना की शुरूआत करते हुए श्री बघेल ने कहा कि योजना से निश्चित रूप से गांवों और जंगलों की तस्वीर बदलेगी। किसानों को आय का एक नया जरिया मिलेगा। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। हमारे गांवों में फिर से हरियाली होगी। मुख्यमंत्री ने सभी किसानों और नागरिकों से इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील भी की। इस दौरान उन्होंने दुर्ग जिले के ग्राम फुंडा में जैव विविधता पार्क की स्थापना के लिए भूमिपूजन भी किया और बस्तर, करपावण्ड, बिलासपुर, बलरामपुर, कांकेर, महासमुंद, कवर्धा तथा दुर्ग वनमण्डलों में सघन वृक्षारोपण के लिए तैयार किसानों और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सदस्यों से संवाद भी किया। कोरबा जिले से इस कार्यक्रम में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिलाई गढ़ के विधायक एवं संसदीय सचिव श्री चंद्र देव प्रसाद राय विधायक पाली तानाखार श्री मोहितराम केरकेट्टा, कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुंदन कुमार, अपर कलेक्टर श्रीमती प्रिंयका महोबिया, कोरबा वनमण्डल की डीएफओ श्रीमती प्रियंका पाण्डेय, कटघोरा वनमण्डल की डीएफओ श्रीमती श़मा फारूखी सहित प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी तथा जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि व्यापक दृष्टिकोण और व्यापक तैयारियों के साथ आज से छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की जा रही है। इस बार का अभियान बीते सालों के अभियानों से हटकर होगा। अधिक जनभागीदारी होने के कारण सफलता की गारंटी भी अधिक होगी। उन्होंने कहा कि इस साल वन विभाग द्वारा 99 लाख से अधिक पौधे रोपने की तैयारी की गई है। साथ ही दो करोड़ 27 लाख पौधों का वितरण भी किया जाएगा। विभाग द्वारा किए जा रहे वृक्षारोपण के सटीक मूल्यांकन के लिए वीडियोग्राफी कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ भी जोड़ा गया है। जिन किसानों ने खरीफ वर्ष 2020 में धान की फसल ली है, यदि वे धान फसल के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण करते हैं,तो उन्हें आगामी 3 वर्षों तक प्रतिवर्ष 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। अपने खेतों में लगाए गए वृक्षों की कटाई के लिए किसानों को भविष्य में किसी भी विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी तरह ग्राम पंचायतों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक वृक्षारोपण किया जाता है, तो एक वर्ष बाद सफल वृक्षारोपण की दशा में संबंधित ग्राम पंचायतों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इससे पंचायतों की आय में वृद्धि होगी। इसी प्रकार संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक आधार पर राजस्व भूमि पर वृक्षारोपण किया जाता है, तो पंचायत की तरह ही संबंधित समिति को एक वर्ष बाद 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वृक्षों को काटने व विक्रय का अधिकार संबंधित समिति का होगा।
कोरोना काल ने दिया सबक, हम सब बचायें पर्यावरण –
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य ने पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाया है, कोरोना-काल में लॉकडाउन के समय हम सबने उसका प्रत्यक्ष प्रभाव देख भी लिया। लाॅकडाउन के दौरान जब थोड़े समय के लिए मनुष्य ने अपनी गतिविधियां बंद कर दी थीं, तो पूरी प्रकृति जी उठी थी। नदियां साफ होने लगी थीं, हवा साफ हो गई थी, चिड़ियों की चहचाहट सुनाई पड़ने लगी थी, सैकड़ों किलोमीटर दूर के पहाड़ नजर आने लगे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात केवल कल्पना में थी कि एक रोज मनुष्य ऑक्सीजन के लिए कतार लगाकर खड़ा होगा। इस कोरोना-काल में हम लोगों ने यह दुखद दृश्य भी देख लिया। उन्होंने चेताया कि ऑक्सीजन की किल्लत का जो दृश्य उपस्थित हुआ था, वह हालांकि एक वायरस के कारण था, लेकिन यदि हम अपने पर्यावरण के प्रति लापरवाह बने रहे तो ऐसा ही दृश्य प्रदूषण के कारण भी सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद हर साल के वृक्षारोपण अभियान में पौधों की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया गया है। हम हर साल सुरक्षा के प्रबंध को बेहतर-से-बेहतर करने की कोशिश करते हैं। जन भागीदारी को शामिल कर इस वर्ष सरकार तो वृक्ष लगाएगी ही, लोग भी ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाएं, इसके लिए वातावरण का निर्माण किया जाएगा।
कोरबा जिले में इस वर्ष एक हजार तीन सौ एकड़ से अधिक रकबे में लगेंगे तीन लाख 37 हजार से अधिक पौधे –
कोरबा जिले में मुख्ममंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत इस वर्ष एक हजार 334 एकड़ से अधिक रकबे में तीन लाख 37 हजार 867 पौधों का रोपण किया जाएगा। इसमें 540.22 एकड़ में 54 हजार 589 फलदार पौधे, 402.64 एकड़ रकबे में एक लाख 96 हजार 517 इमारती लकड़ी देने वाले पौधे और 196.17 एकड़ भूमि पर 86 हजार 762 औषधीय पौधे रोपे जाएंगे। जिले की 289 ग्राम पंचायतों के 298 गांवों में यह वृक्षारोपण किया जाएगा। फलदार पौधों में आम, जामुन, कटहल, नींबू, मुनगा, इमली, अमरूद, सीताफल, काजू जैसे पौधे रोपे जाएंगे। इमारती लकड़ी देने वाले पौधों में साल, सागौन, सीसम, नीलगिरी, खम्हार, बांस, बीजरा, धवई, नीम के पौधे लगेंगे। वहीं औषधीय पौधों के रूप में आंवला, हर्रा, बहेड़ा, करंज के पौधे रोपे जाएंगे। कोरबा जनपद पंचायत में 15 गांवो में 126.97 एकड़ रकबे में 27 हजार 223 पौधे, करतला जनपद के 32 गांवो में 466.62 एकड़ रकबे में एक लाख 28 हजार 261 पोधे, कटघोरा जनपद के 18 गांवों में 6.79 एकड़ रकबे में एक हजार 987 पौधे, पाली जनपद के 77 गांवों में 226.68 एकड़ भूमि पर 60 हजार 539 पौधे और पोड़ी-उपरोड़ा जनपद के 87 गांवो के लगभग 312 एकड़ भूमि पर 95 हजार 178 पौधों का रोपण किया जाएगा। कृषि विभाग द्वारा जिले के 67 गांवों में 168 एकड़ रकबे में 14 हजार 280 पौधों का रोपण कराया जाएगा। इसके लिए अभी तक कृषि विभाग द्वारा 162 किसानों का पंजीयन किया जा चुका है। वृक्षारोपण किसानों का पंजीयन तेजी से जारी है। कटघोरा वनमण्डल में ढाई एकड़ रकबे में 400 पौधे और कोरबा वनमण्डल लगभग 25 एकड़ रकबे में 10 हजार पौधें लगाए जाएंगे।