वीडियो :एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष का रायपुर दौरा, आपस में भिड़े कांग्रेसी कार्यकर्ता


रायपुर सेंट्रल छत्तीसगढ़ नएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन आज एक दिवसीय दौरे पर रायपुर पहुंचे. इस दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत (grand welcome) किया. इस दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं (NSUI activists) के बीच अफरा-तफरी का माहौल बन गया. वह आपस में ही विवाद करने लगे. छात्रों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई. कुछेक ने तो बेल्ट निकालकर लहराना शुरू कर दिया. काफी प्रयास के बाद मामला शांत हुआ. इधर, राजीव भवन में राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश कुंदन ने प्रेस को संबोधित किया. जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार (central government) के नई शिक्षा नीति (new education policy) को छात्र विरोधी बताया.

एनएसयूआई के कार्यकर्ता आपस में भिड़ेकेंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के छात्र के साथ कर रही है सौतेला व्यवहार राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने बताया कि एनएसयूआई का कार्यक्रम आज राजधानी रायपुर में हुआ है. केंद्र सरकार ने की नीतियों का विरोध किया गया. उन्होंने कहा कि चाहे वह शिक्षा नीति हो या निजीकरण को बढ़ावा देने की बात हो, सरकारी संसाधनों को बेचने का काम जो केंद्र सरकार कर रही है, उन पर चर्चा की गई. इस पर एनएसयूआई छत्तीसगढ़ और पूरे देश के छात्र एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे. इसके साथ-साथ प्रदेश में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में किस तरीके से छात्रों को लाभ मिल रहा है? इस बारे में हम ने छात्रों से चर्चा की.

एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष का रायपुर दौरा

केंद्र सरकार द्वारा जिस तरीके से छत्तीसगढ़ सरकार को दबाने की कोशिश की जा रही है, राज्य के साथ जिस तरीके से इंजस्टिस किया जा रहा है. केंद्र द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ के छात्रों के साथ भी सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चाहे यहां पर मेडिकल कॉलेज की बात हो, सीबीएसई के कार्यालय लगाने की बात हो, इन्हीं सब मुद्दों पर आज एनएसयूआई छात्रों के साथ चर्चा किया गया. आने वाले समय में रणनीति बनाई जाएगी.
नई शिक्षा नीति पर उठाया सवाल
नीरज कुंदन ने कहा कि नई शिक्षा नीति सीधे और सीधे निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए लिए है और आने वाले समय में शिक्षा नीति के कारण किसान का बच्चा आम लोगों का बच्चे को शिक्षा लेना असंभव हो जाएगा. सबसे बड़ा प्रश्न है जब पूरे देश में कोरोना तेज़ी से बढ़ रहा था और स्कूल कॉलेजेज बंद थे, तब चुपचाप इस तरह की नीति लागू कर दी गई. इसमें किसी भी छात्र से चर्चा नहीं किया गया.