सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ : सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के छह में से पांच लोकसभा सांसद बागी हो गए हैं. चिराग पासवान अकेले पड़ गए हैं. लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के चाचा एवं सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में पार्टी के सांसदों ने बगावत की है.
पशुपति पारस आज दिल्ली में बागी सांसदों के साथ प्रेस वार्ता करेंगे. खबर है कि बागी सांसदों ने चिराग की जगह पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया है. अब दो चीजों की संभावना है, या तो सभी बागी सांसद जदयू में शामिल हो सकते हैं, या फिर सभी बागी सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में लोजपा में रहेंगे और लोजपा पर कब्जे की लड़ाई लड़ेंगे एवं चिराग को पार्टी से बाहर करेंगे.
केंद्रीय मंत्रिमंडल में चिराग को जगह मिलने की संभावना जताई जा रही थी, उससे पहले ही उनको झटका लग गया है. बताया जा रहा है कि पशुपति पारस पार्टी में अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे थे. पशुपति पारस बिहार लोजपा के अध्यक्ष थे व बिहार सरकार में मंत्री भी थे, लेकिन उनको 2019 में सांसद का चुनाव लड़वाया गया. बाद में बिहार लोजपा अध्यक्ष की कुर्सी भी छीन ली गई. चिराग के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से भी नाराज चल रहे थे.
स्पीकर से मिलने के लिए मांगा टाइम
सूत्रों के अनुसार पशुपति पारस ने लोकसभा स्पीकर से मिलने के लिए टाइम भी मांगा है. लोजपा के पांच सांसद जेडीयू में विलय कर सकते हैं. सूत्रों के अनुसार लोजपा को तोड़ने में जेडीयू के एक कद्दावर नेता का नाम आ रहा है.
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा ने जेडीयू को काफी नुकसान पहुंचाया था. लोजपा के कारण जेडीयू करीब 25 सीट हार गई थी. विधानसभा चुनाव में लोजपा ने जेडीयू के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार दिया था.
पशुपति पारस पार्टी में टूट के सूत्रधार
सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ही पार्टी में इस टूट के सूत्रधार हैं. पशुपति पारस का सीएम नीतीश से हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं. सूत्र ये भी बता रहे हैं कि पांचों सांसद लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर इसके बारे में सूचना भी दे दिया है.
चिराग से नाराज हैं लोजपा सांसद
खबर है कि पार्टी के पांचों सांसद एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान से नाराज चल रहे हैं. यही कारण है कि इन सभी ने चिराग से अगल होने का फैसला लिया है. पार्टी के जिन पांच सांसदों ने चिराग से अलग होने का फैसला लिया है, इनमें पशुपति पारस, प्रिंस, महबूब अली कैसर, वीणा देवी और चंदन सिंह शामिल हैं. अगर ये सभी अलग हो जाते हैं तो पार्टी में अब चिराग अकेले ही रह जाएंगे.
कौन हैं बागी सांसद
पशुपति कुमार पारस : पशुपति कुमार पारस अलौली से पांच बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने जेएनपी उम्मीदवार के रूप में 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. तब से वे एलकेडी, जेपी और एलजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया. पशुपति पारस 2019 में हाजीपुर से सांसद चुने गए. इसके अलावा, वह लोक जनशक्ति पार्टी की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
प्रिंस राज : समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. वह बिहार एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. 25 साल की उम्र में प्रिंस ने वर्ष 2015 में समस्तीपुर के रोसड़ा विधानसभा चुनाव लड़ा. हालांकि तब उन्हें चुनाव में शिकस्त मिली. प्रिंस राज अपने पिता रामचंद्र पासवान के साथ लगातार राजनीति में सक्रिय रहे. पिता रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उपचुनाव में प्रिंस राज समस्तीपुर में एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और शानदार जीत हासिल की.
महबूब अली कैसर : चौधरी महबूब अली कैसर ने कांग्रेस से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह बिहार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय चौधरी सलाहुद्दीन के पुत्र हैं. उन्होंने बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया है. 2014 के आम चुनाव से पहले लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए. फिलहाल खगड़िया से सांसद हैं.
वीणा देवी : वीणा देवी वैशाली से सांसद हैं. वह बिहार विधानसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं. 2019 आम चुनाव में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर वैशाली से चुनाव लड़ा और आरजेडी के दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर लोक सभा पहुंची.
चंदन सिंह : चंदन सिंह नवादा से सांसद है. इनकी सबसे बड़ी पहचान ये है कि ये सूरजभान सिंह के भाई हैं. सूरजभान सिंह एलजेपी नेता व पूर्व सांसद हैं.