रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अवैध रूप से बाल गृह संचालक नरेश महानंद को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी बिना रजिस्ट्रेशन के अवैध बाल गृह (illegal children home) चला रहा था. जहां मध्यप्रदेश के मंडला जिले के 19 बालक और बालिकाओं को रखा गया था. आरोपी ने एक बच्चे को रखने के लिए 2-2 हजार रुपये परिजनों से लिए थे. महिला बाल विकास की टीम ने 9 जुलाई को छापेमार कार्रवाई कर अवैध रूप से संचालित बाल गृह से 19 बच्चों को छुड़वाया था. उसके बाद महिला एवं बाल विकास की टीम (women and child development team) ने पुलिस को कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिखी थी.
राजधानी के नया रायपुर में भिलाई का रहने वाले नरेश महानंद, लाइफ शो फाउंडेशन (Life Show Foundation) के नाम से बालगृह संचालित कर रहा था. बिना रजिस्ट्रेशन के संचालन की सूचना के बाद महिला बाल विकास की टीम ने छापामार कार्रवाई की और संचालक के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (Juvenile Justice Act) (जेजे एक्ट) के उल्लंघन करने की शिकायत पुलिस से की गई थी. जिसके बाद पुलिस ने नरेश महानंद को राखी थाने (Rakhi Police Station) में पूछताछ के लिए बुलाया. पूछताछ के दौरान आरोपी, बाल गृह संचालित करने के जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाया. जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया.
संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज
ग्रामीण एडीशनल एसपी (Rural Additional SP) तारकेश्वर पटेल ने बताया कि महिला बाल विकास की ओर से 10 जुलाई को एक आवेदन प्राप्त हुआ था. जिसके आधार पर अवैध रूप से बाल गृह संचालित करने वाले आरोपी नरेश महानंद को हिरासत में ले लिया है और उससे राखी थाना में पूछताछ किया जा रहा है. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. वहीं मंडला पुलिस को पूरे मामले की रिपोर्ट सौंप दी गई है.
इससे पहले रायपुर में अवैध बाल गृह से महिला बाल विकास विभाग और चाइल्ड लाइन की टीम ने 19 नाबालिगों को छुड़ाया था. कुल 10 लड़के और 9 लड़कियां उनमें शामिल थे. सभी बच्चे मध्यप्रदेश के मंडला और बालाघाट जिले के हैं. सूचना मिलने के बाद सोमवार को मंडला पुलिस की टीम रायपुर पहुंची. यहां पुलिस अधिकारियों से बात कर टीम बच्चों को लेकर मंडला रवाना हो गई थी.
बाल संरक्षण इकाई चाइल्ड लाइन द्वारा अवैध रूप से संचालित बाल गृह आश्रम में छापा मारकर 19 बच्चों को रिहा कराया गया था. इनमें से 10 बालक हैं जबकि 9 बालिकाएं हैं. ये सभी 7 से 10 वर्ष के हैं. पुलिस और महिला बाल विकास विभाग की टीम ने एक पम्पलेट में छपी सूचना के आधार पर इन बच्चों को रिहा कराया था.
पम्पलेट की वजह से उठा था पर्दा
महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम की तरफ से बताया जा गया था कि राजधानी रायपुर और आस पास के इलाके में एक पम्पलेट सर्कुलेट (pamphlet circulate) हो रहा था. जिसमें बेसहारा बच्चों को नया रायपुर में संचालित आश्रम में छोड़ने की बात और आश्रम को दान देने की अपील की गई थी. इस तरह के पम्पलेट से महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम हरकत में आई. जिसके बाद तफ्तीश तेज की गई और अवैध बाल गृह का खुलासा हुआ. तब चाइल्ड लाइन की टीम ने यहां दबिश देकर 19 बच्चों को छुड़ाया था.
इससे पहले महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) ने रायपुर के राखी थाना के सेक्टर 19 में अवैध बाल गृह पर कार्रवाई की थी. बाल गृह से कुल 19 नाबालिगों को रिहा कराया गया था. मुक्त कराए गए ज्यादातर बच्चे मध्यप्रदेश के मंडला जिले के रहने वाले बताए जा रहे थे. हैरत की बात यह है कि यह बाल गृह 20 दिन पहले शुरू किया गया था. पुलिस इस केस को बाल तस्करी के एंगल से भी देख रही थी. सभी बच्चे सिंगल पैरेंट के हैं और उन परिवारों के हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जिन बच्चों को छुड़ाया गया था.