रायपुर जिंदगी की डोर थामने के लिए 24 घण्टे काम कर रहा मेडिकल स्टाफ..

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): ‘ऑक्सीजन’ ये ऐसा शब्द है जो इस समय हर तरफ सुनाई दे रहा है. लोगों को जिंदगी देने के लिए ऑक्सीजन की जद्दोजहद चल रही है. हालांकि छत्तीसगढ़ इस मामले में काफी लकी साबित हुआ है. जहां से ऑक्सीजन देशभर में पहुंचाई जा रही है. राजधानी में औद्योगिक इकाईयों के साथ ही कई अस्पतालों के अपने खुद के ऑक्सीजन प्लांट है. जिनमें सामान्य दिनों की जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन प्रोडक्शन किया जाता था. लेकिन इन दिनों जरूरत बहुत ज्यादा बढ़ गई है. जिससे कुछ अस्पतालों में सामान्य दिनों के अनुपात में 5 से 6 गुना ऑक्सीजन ज्यादा खपत हो रही है. इसकी आपूर्ति के लिए ज्यादातर अस्पताल औद्योगिक प्लांट में उत्पादन होने वाले ऑक्सीजन पर निर्भर हो गए हैं. तो वहीं कुछ अस्पतालों ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा दी है.

रायपुर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने दिन रात जुटा स्टाफ

कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अस्पतालों में बढ़ा ऑक्सीजन का प्रोडेक्शन

एम्स रायपुर ने पिछले एक माह में 3000 लीटर से 8000 लीटर तक प्रोडक्शन को बढ़ाया है. कुछ बड़े प्राइवेट अस्पताल जहां इस समय सैकड़ों की संख्या में मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. वे भी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए है. अस्पताल प्रबंधकों का कहना है कि इस समय ज्यादातर उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जा रहा हैं जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है. ऐसे मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है. इसलिए हॉस्पिटल में ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने की योजना राजधानी के कई बड़े अस्पताल कर रहे हैं. ऐसे में कोरोना की इस महामारी से लड़ने के लिए ऑक्सीजन प्लांट में काम करने वाले टेक्नीशियन भी दिन-रात मेहनत कर ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे हैं.

बाहर से मंगाए जा रहे सिलेंडर

रायपुर के निजी अस्पताल के डॉक्टर देवेंद्र नायक ने बताया कि पहले उनके अस्पताल में 180 सिलेंडर ऑक्सीजन रोजाना लगती थी. लेकिन अभी रोजाना 500 से 600 सिलेंडर की जरूरत रोजाना पड़ रही है. उन्होंने बताया कि उनके हॉस्पिटल में दो ऑक्सीजन प्लांट है. जिनका रोजाना ऑक्सीजन प्रोडक्शन 120 से 130 सिलेंडर है. लेकिन मौजूदा दौर में रोजाना बाहर से भी सिलेंडर मंगाए जा रहे हैं.

24 घंटे ऑक्सीजन प्लांट में हो रहा प्रोडेक्शन

डॉ नायक ने बताया कि अभी अस्पताल में प्लांट की उत्पादन क्षमता को बढ़ाए जाने पर विचार चल रहा है. फिलहाल बाहर से ही मेडिकल ऑक्सीजन मंगाई जा रही है. आक्सीजन प्लांट में 24 घंटे प्रोडक्शन चलता रहता है. वर्तमान में उनके अस्पताल में 380 आक्सीजन बेड है. 24 घंटे ऑक्सीजन प्लांट में 12 से 14 लोग काम कर रहे हैं.

ऑक्सीजन के लिए युद्धस्तर पर काम करा स्टाफ

इसी तरह बिलासपुर के सिम्स में भी मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है. मार्च महीने में 150 आक्सीजन सिलेंडर से काम चल जा रहा था. लेकिन अब 350 सिलेंडर से ज्यादा की जरूरत रोजाना पड़ रही है. इस जरूरत को पूरा करने के लिए अस्पताल और औद्योगिक क्षेत्र में स्थित ऑक्सीजन प्लांट में काम कर रहे मजदूर और अन्य स्टाफ जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं.

प्लांट में 1 की जगह 4 टेक्नीशियन कर रहे काम

प्रदेश के सबसे बड़े डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर विनीत जैन ने बताया कि अभी सामान्य दिनों की अपेक्षा ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड 5 से 6 गुना बढ़ गई है. वर्तमान में 1300 जंबो सिलेंडर रोजाना इस्तेमाल हो रहे हैं. 500 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत लिक्विड ऑक्सीजन से हो रही है. 500 सिलेंडर रिफिल कराया जा रहा है. 300 ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पताल में लगे ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट से मिल रहे हैं. डॉक्टर जैन ने बताया कि सामान्य दिनों में प्लांट में एक टेक्नीशियन काम करते थे. लेकिन अभी हर शिफ्ट में 4 सपोर्ट स्टाफ दिए गए है, जिससे सिलेंडर को जल्दी बदला जा सके.