राज्यसभा उम्मीदवार पर पक्ष-विपक्ष के सूर एक: स्थानीय हो उम्मीदवार, तभी छत्तीसगढ़ियों का होगा होगा सपना साकार..


रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): 
छत्तीसगढ़ में दो राज्यसभा सीट जून 2022 में खाली हो जाएगी. इसको लेकर अभी से छत्तीसगढ़ में सियासत शुरू हो गई है. एक तरफ कांग्रेस खेमा अपने चहेतों को तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा अपने चहेते की उम्मीदवारी का दावा कर रही है. लेकिन कहीं-न-कहीं उम्मीदवारी के मुद्दे पर दोनों पार्टियों के सुर एक हैं. दोनों ही पार्टियां छत्तीसगढ़ में स्थानीय उम्मीदवार को ही प्राथमिकता देना चाह रही हैं. बात अगर सीएम की करें तो भूपेश बघेल भी प्रदेश में स्थानीय उम्मीदवार को ही राज्यसभा भेजना चाहते हैं. वहीं रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल भी स्थानीय उम्मीदवार को ही तरजीह देने के पक्ष में हैं.

केटीएस तुलसी बाहर के सदस्य
वर्तमान में राज्यसभा सीट पर कांग्रेस के केटीएस तुलसी सदस्य हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और देश के पूर्व अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल रह चुके हैं. लेकिन वे छत्तीसगढ़ के नहीं हैं. बावजूद इसके कांग्रेस ने उन्हें छत्तीसगढ़ कोटे की राज्यसभा सीट से सदस्य बनाया है. इसके पहले मोहसिना किदवई को कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था, वह भी छत्तीसगढ़ की नहीं थीं.


राज्यसभा की 2 सीटें होने वाली हैं खाली
छत्तीसगढ़ में 29 जून 2022 को राज्यसभा की 2 सीटें खाली हो जाएंगी. इन 2 सीटों में से एक-एक पर बीजेपी और कांग्रेस का कब्जा है. भाजपा से रामविचार नेताम राज्यसभा सांसद हैं, वहीं कांग्रेस से छाया वर्मा को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था.

अब तक 5 में से 3 सीटों पर भाजपा का कब्जा
छत्तीसगढ़ बनने के बाद 15 साल तक बहुमत के आधार पर प्रदेश की 5 राज्यसभा सीटों में से 3 सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है और 2 सीटें कांग्रेस के खाते में आई हैं. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बंपर जीत के बाद सियासी समीकरण बदल गया है. वोटों की गणित के आधार पर इस बार दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत करीब-करीब तय मानी जा रही है.


विधानसभा चुनाव में बंपर जीत का मिला था फायदा
विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत का फायदा कांग्रेस को पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान भी मिला है. जब केटीएस तुलसी और फूलों देवी नेताम को निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुना गया. इस बार भी कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है.

राज्यसभा की 2 सीटों पर चुनाव महज रहेगी औपचारिकता
छत्तीसगढ़ में राज्यसभा सदस्य के लिए 31 विधायकों का समर्थन चाहिए. फिलहाल कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं. लिहाजा दोनों सीटों पर कांग्रेस की निर्विरोध जीत लगभग तय है. क्योंकि बीजेपी के 14, जोगी कांग्रेस के 3 और बसपा के 2 विधायक मिलाकर भी 31 की संख्या तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यानी छत्तीसगढ़ में राज्यसभा का चुनाव पिछली बार की तरह इस बार भी महज औपचारिकता ही रहेगा.

…तो इसलिए उठा स्थानीय राज्यसभा सदस्य बनाने का मुद्दा
हाल ही में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति को लेकर उठे विवाद के बाद स्थानीय का मुद्दा गरमा गया है. कांग्रेस सहित खुद मुख्यमंत्री ने इस विश्वविद्यालय के लिए स्थानीय कुलपति नियुक्त करने की मांग राज्यपाल से की थी. इसके बाद राज्यपाल ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के लिए स्थानीय कुलपति की नियुक्ति की.


भाजपा ने की स्थानीय उम्मीदवार बनाने की मांग
इस नियुक्ति के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार किया है. क्योंकि कांग्रेस कई बार अन्य राज्यों के नेताओं को छत्तीसगढ़ राज्यसभा सीट से भेज रही है. इस पर भाजपा ने आपत्ति जताई है. भाजपा वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि राज्यसभा में भी स्थानीय सदस्य को भेजा जाए. बृजमोहन ने कांग्रेस से मांग की है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के लिए किसे सदस्य बनाया जाए. यह निर्णय करना मुख्यमंत्री के हाथ में नहीं है. इसका निर्णय उनके आका करेंगे. ऐसे मुख्यमंत्री कुछ भी बोलें, निर्णय क्या होगा इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन जिस दिन निर्णय आएगा, उस दिन पता चलेगा कि मुख्यमंत्री की चलती है या नहीं. अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी मामला है फिर भी हमारी मांग है कि इस राज्यसभा सीट के लिए छत्तीसगढ़ के निवासी को मौका दिया जाए.


पार्टी का अंदरूनी मामला बताकर कांग्रेस ने की आपत्ति खारिज
हालांकि कांग्रेस ने इसे पार्टी का अंदरूनी मामला बताते हुए आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया है. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि स्थानीय कुलपति नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से आग्रह किया था और पार्लियामेंट में हमेशा छत्तीसगढ़ के लोगों का ही सम्मान कांग्रेस पार्टी द्वारा किया जाता रहा है. हमें किसे ओपन हाउस में भेजना है इसके लिए बीजेपी के किसी सलाह की जरूरत ही नहीं है.


वह क्या बोलेंगे, जिन्होंने वर्षों तक ऐसे ही राज किया : भूपेश बघेल
वहीं स्थानीय कांग्रेस नेता को राज्यसभा भेजे जाने की मांग पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि यहां के लोगों को भी मौका मिला है. एकाध बाहर के भी रहे हैं. लेकिन हमारी कोशिश रहेगी कि स्थानीय लोगों को मौका दिया जाए. बघेल ने कहा कि बीजेपी जब एक उंगली सामने की ओर उठाती है तो तीनों उंगली खुद उनकी और होती है. जिन्होंने सालों साल यहां राज किया है, वह क्या कहना चाहते हैं?

राज्यसभा सीट पर नजर बाहरी और स्थानीय की नजर
बहरहाल, छत्तीसगढ़ के राज्यसभा की 2 सीटें 4 महीने बाद जून में खाली होने वाली है. लेकिन इन सीटों पर किसे उम्मीदवार बनाया जाएगा. इसकी सुगबुगाहट अभी से ही तेज हो गई है. जहां एक ओर इन सीटों पर स्थानीय नेताओं को उतारे जाने की मांग और बात कही जा रही है. वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों के बड़े नेताओं की भी इस सीट पर नजर है. राज्यसभा के दावेदारों को यूपी चुनाव के खत्म होने का इंतजार है.

सूत्रों की मानें तो इस बार छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सीट के लिए दावेदारों की सूची लंबी है. यही वजह है कि अब तक इन सीटों पर किसे उतारा जाएगा. उनके नाम को लेकर खुलकर चर्चा नहीं की जा रही है. लेकिन यह जरूर है कि सत्ता और संगठन अभी से इन खाली होने वाली सीटों के दावेदारों पर मंथन करने में जुट गई है और आलाकमान से चर्चा के बाद नामों की घोषणा की जाएगी. लेकिन जब तक नामों का ऐलान नहीं होता है तब तक पार्टी में राज्यसभा सीट के दावेदारों को लेकर लगातार सुगबुगाहट बनी रहेगी.