मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला.. ओलंपिक के दौरान ही बदला देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार का नाम.. अब राजीव गांधी नही मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जाएगा खेल रत्न.. PM मोदी ने खुद किया ट्वीट.

दिल्ली (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की. पीएम मोदी ने एक ट्वीट कर कहा कि भारत के नागरिकों की तरफ से मिल रहे, अनुरोध के बाद ये फैसला लिया गया है. खेल रत्न पुरस्कार देश का सर्वोच्च खेल सम्मान है.

मोदी ने कहा कि मुझे पूरे भारत के नागरिकों से खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कई अनुरोध मिल रहे हैं. उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा.

मोदी ने कहा कि मुझे पूरे भारत के नागरिकों से खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कई अनुरोध मिल रहे हैं. उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा.

अपने ट्वीट में पीएम ने कहा, “देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. जय हिंद!”

प्रधान मंत्री ने कहा कि मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे, जो भारत के लिए सम्मान और गौरव लेकर आए. ये सही है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जाएगा.

खेल रत्न पुरस्कार का इतिहास.

खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआथ 1991-1992 में हुई और सबसे पहले ये पुरस्कार शतरंज के दिग्गज विश्वनाथन आनंद को दिया गया था. इसके दूसरे विजेताओं में लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्ले, पुलेला गोपीचंद, अभिनव बिंद्रा, अंजू बॉबी जॉर्ज, मैरी कॉम और रानी रामपाल का नाम भी शामलि है. इस पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपए का नकद इनाम मिलता है.

मेजर ध्यानचंद- द विजार्ड.

द विजार्ड के नाम से मशहूर, फील्ड हॉकी खिलाड़ी, मेजर ध्यानचंद ने 1926 से 1949 तक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खेली. अपने करियर में 400 से ज्यादा गोल किए. इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद उस ओलंपिक टीम का हिस्सा थे, जिसने 1928, 1932 और 1936 में गोल्ड मेडल जीते थे.

खेल रत्न पुरस्कार के अलावा, खेल में आजीवन उपलब्धि के लिए देश का सर्वोच्च पुरस्कार भी ध्यानचंद पुरस्कार भी मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जाता है. इसे 2002 में शुरू किया गया था. नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम का नाम भी 2002 में बदल कर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम कर दिया गया था.