कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- कोरबा जिले में पतरापाली से कटघोरा राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 में फोरलेन सड़क मार्ग हेतु जमीन अधिग्रहण के बाद किसान अपना जमीन का मुआवजा पाने न्यायालय और अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं जबकि निर्माण एजेंसी ने किसानों की जमीन पर सड़क निर्माण का कार्य भी आरम्भ कर दिया है। इससे आक्रोशित किसान सड़क निर्माण को रोकने के मूड में है।
रायपुर से बनारस राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य किस्त किस्त में हो रहा है।बिलासपुर से कटघोरा तक दो अलग-अलग निर्माण एजेंसियां काम कर रही है। पहला बिलासपुर जिले में से बगदेवा तक लगभग 40 किमी, उसके बाद कोरबा जिले में पतरापाली से कटघोरा 42 किलोमीटर का कार्य इन दिनों चल रहा है। कोरबा जिले के अंतर्गत फोरलेन से प्रभावित किसानों की जमीन अधिग्रहण के बदले में मुआवजा वितरण शुरू से ही विवादों में रहा है। कई किसानों ने कम मुआवजा मिलने की शिकायत की, तो किसी ने अधिक जमीन अधिग्रहण करने के बाद कम जमीन का मुआवजा मिलने की शिकायत की और कई किसानों को अभी तक मुआवजा ही नहीं मिल पाया है। मुआवजा विसंगति को लेकर किसानों ने विभागीय अधिकारियों से लेकर न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। इससे परेशान किसान आखिर अपनी समस्या के लिए किसके पास जाएं ।किसान इस कार्यालय उस कार्यालय और न्यायालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। जबकि निर्माण एजेंसी डीबीएल कंपनी किसानों की जमीन पर सड़क निर्माण का कार्य भी आरंभ कर दिया है। इसे लेकर किसान आक्रोशित हैं और वह अपनी जमीन पर काम रोकने के लिए के मूड में है किसानों का कहना है कि अधिग्रहित जमीन उनके साल भर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करता है। खेती किसानी कर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते हैं। इसके बाद भी विकास के लिए हमें फोरलेन के लिए अपनी जमीन देने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन शासन मुआवजा तो दे, बिना मुआवजा दिए काम चालू भी करा दिया गया है। जो कि न्याय संगत नहीं है, ऐसे में उनके पास काम में अड़ंगा डालने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।कुछ ऐसा ही हाल पाली से पोड़ी ,सिल्ली होकर रतनपुर को जोड़ने वाले सड़क उन्नयन कार्य का भी है। इस नवनिर्माण कार्य से प्रभावित किसानो ने हाल ही में मुआवजा को लेकर प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है। लेकिन आश्वासन के कुछ कार्यवाही नहीं हुई है।
कोर्ट और दफ्तर के चक्कर लगाने को मजबूर किसान
पतरापाली से चेपा के बीच एक कृषक की 1.72 डिसमिल अधिग्रहित की गई थी, जिसकी विधिवत सूचना राजपत्र में प्रकाशित भी किया गया था।जिसे पुनः सर्वे करने के बाद कृषक की लगभग 65 डिसमिल जमीन अधिग्रहण की संशोधित अधिसूचना जारी हुई थी। इस संबंध में कृषक ने समस्त औपचारिकता पूर्ण कर मुआवजा के लिए अपने आवेदन स्थानीय कार्यालय में प्रस्तुत किया जहां से उसे कमिश्नर बिलासपुर को भेज दिया गया। संशोधित भूमि के मुआवजा के लिए कृषक कई बार कमिश्नर के दफ्तर के चक्कर काट चुका है।लेकिन अब तक मुआवजा लम्बित है। इसी तरह कई अन्य किसान भटक रहे हैं। एक अन्य किसान ने बताया कि उसे कमिश्नर कार्यालय से उसे न्यायालय की शरण में जाने की सलाह दी गई।न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद आदेश दिया गया कि इस मामले को कमिश्नर ही निराकृत करेंगे। दफ्तर और कोर्ट के चक्कर काट रहे कृषक को समझ में नहीं आ रहा है कि अब वह अपनी समस्या को लेकर कहां जाएं ।किसान को मुआवजा नहीं मिल रहा है और उसकी जमीन पर सड़क निर्माण का कार्य भी आरंभ कर दिया गया है। मुआवजा विसंगति के कई प्रकरण लंबित हैं और किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।