मरवाही विधानसभा उपचुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) पार्टी को जिताने के लिए पार्टी प्रमुख अमित जोगी तैयारियों में लगे हुए हैं. अमित जोगी ने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक ली और उपचुनाव के लेकर उनसे चर्चाएं की.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (सेंट्रल छत्तीसगढ़) : नवंबर में होने वाले मरवाही विधानसभा उपचुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीति तेज हो गई है. अजित जोगी का गढ़ कहे जाने वाले मरवाही विधानसभा में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के प्रदेश अध्यक्ष और अजित जोगी के बेटे अमित जोगी ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी है. अमित जोगी अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ लगातार बैठक ले रहे हैं और रणनीति बना रहे हैं.

मरवाही विधानसभा उपचुनाव को लेकर प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस और बीजेपी ने मरवाही विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव में जाकर अपना प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है. लेकिन दोनों ही पार्टी के अलाकमान ने मरवाही सीट के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. ऐसे में JCCJ कैसे पीछे रह सकती है.

JCCJ प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक ली, जिसमें उन्होंने आगामी उपचुनाव को लेकर सभी लोगों से चर्चाएं की. पार्टी के पदाधिकारियों ने भी उपचुनाव में जीत दिलाने का पूरा आश्वासन दिया है और जीत के लिए पंचायत चुनाव की तर्ज पर काम करने की बात कही.

  • मरवाही में हुए 2013 के विधानसभा चुनाव में अजित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे, तो भाजपा को 36 हजार 659 वोट मिले थे.
  • 2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी को 74 हजार 41 वोट मिले, तो भाजपा को 27 हजार 579 वोट से ही संतोष करना पड़ा.

हालांकि इस चुनाव में प्रदेश सरकार भी मरवाही में अपना झंडा लहराना चाहती है. बीजेपी भी यहां अपना लोहा मनवाने पर जुगत लगा रही है. उपचुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कोई भी पार्टी पीछे नहीं रहना चाहती. हालांकि 10 नवंबर को ही साफ हो पाएगा कि जनता का साथ किस पार्टी के साथ हैं.

बिलासपुर से अलग होकर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही बना था जिला

मातृत्व जिला बिलासपुर से अलग होकर 10 फरवरी 2020 को अलग जिला बने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की मरवाही विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. साथ ही ये सीट बेहद दिलचस्प सीट मानी जाती है. छत्तीसगढ़ की मरवाही विधानसभा सीट से 2013 में वर्तमान विधायक अमित जोगी, कांग्रेस की ओर से विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन 2018 में उन्होंने ये सीट अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत होगी के लिए छोड़ दी थी. पिछले 20 सालों से ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती थी. अजीत जोगी ने 2003 में उप चुनाव यहीं से जीतकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था.