मरवाही जनपद के ग्राम चंगेरी के मजदूरों को 2 सालों से नहीं मिला मजदूरी बदहाली के जिंदगी जीने को मजबूर..

गौरेला पेंड्रा मरवाही (सेंट्रल छत्तीसगढ़) प्रयास कैवर्त:-आराम गवां कर निकलता हूं आराम के खातिर, पर मुझे आराम मिलता कहां है, रोज जलाता हूं खून पसीने को पर मुझे मजदूरी मिलता कहां है,

मजदूर के पसीने सूखने से पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए साहब मगर अफसोस 2 सालों के बाद भी गरीब मजदूरो का मजदूरी नहीं मिली, जी हां

हम बात कर रहे हैं नवनिर्मित जिला गौरेला पेड्रा मरवाही के ग्राम चंगेरी का है जहां के गरीब मजदूरों का मनरेगा के कुआं निर्माण और तलाब निर्माण मे काम के मज़दूरी के लिए दरबदर भटक रहे, पर उन्हे हताशा और नाकामयाबी के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ, अपनी मजदूरी की राशि की गुहार लेकर मारे मारे फिर रहे हैं,
बता दें ग्राम चंगेरी में विगत सत्र 2019 में मनरेगा के तहत कुआ निर्माण कार्य कराया गया था जिसमे समारु पिता पटवारी केवट का 08सप्ताह,अनिता पति समारु का 10सप्ताह,बारेलाल पिता चंदूलाल का 08सप्ताह,गोमती पिता संता केवट का 08सप्ताह, महेंद्र पिता साहेबलाल का 08सप्ताह,सोना पति महेंद्र का 08सप्ताह,सुन्दर पिता मंगल का 08सप्ताह,फूलबाई पति सुन्दर केवट का 08सप्ताह, किशन लाल पिता नन्हुराम का 10सप्ताह,बेसहनी केवट पति किशन लाल केवट का 10सप्ताह,
साथ ही लालमन पिता सेवकराम,सुशीला पिता लालमन, साहेब लाल पिता जगतराम,लालजी पिता सेवकराम,धीरसाय पिता पंचराम,रामवती पति धीरसाय,गुड्डी बाई पिता सरजू,कोदूलाल पिता छोटेलाल,ललितबाई,छग्गा पिता सुदामा केवट का 04-04सप्ताह का अभी तक मजदूरी भुगतान नहीं हुआ है,

उनकी मुफलिसी का आलम यह है कि वैश्विक महामारी कोरोनाकाल में लाकडाउन हुवा तो बेचारे गरीब मजदूर पाई पाई को मोहताज हो गए, कभी घर में बच्चों की तबीयत तो कभी कर्जदारो ने उन पर परेशानियों के चाबुक मारे, फिर भी अपनी हताशा और नाकामयाबी को गरीब मजदूर मरने नहीं दिया अपने खून पसीने की कमाई और जायज़ मांगों के लिए

,ग्राम चंगेरी के ग्रामीण मजदूरों ने अपनी मजदूरी की अर्जी लेकर एसडीएम, जिला कलेक्टर गौरेला पेड्रा मरवाही और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ शासन तक पहुंचा चुके हैं, पर जिम्मेदार सक्षम अधिकारियों को शासन प्रशासन का कोई खौफ नहीं रहा, अभी भी सक्षम अधिकारी कुंभकरण की नींद सो रहे हैं, और बेचारे गरीब मजदूर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है, मजदूरों की मजबूरी का आलम यह है कि वह अपने आप को उपेक्षित महसूस करने लगे हैं, वह बार-बार अपने आप को कोसते नजर आ रहे हैं, कि हम मजदूर हैं यही हमारा दोष है, इसलिए हर कोई हम को नजरअंदाज कर देते हैं,

सोचने वाली बात यह है कि जिन मजदूरों के कंधों पर देश दुनिया की बड़ी बड़ी इमारतें टिकी हुई है, जिनकी हाथों ने ताजमहल से लेकर दिल्ली संसद तक की बुनियाद की नींव रखी, क्या उस मजदूर की हालात यही हो सकती है,

ग्राम पंचायत चंगेरी सरपंच सुरेश सिंह अगरिया का कहना है कि मजदूरों का भुगतान होना चाहिए बहुत लंबे समय से परेशान हैं

वही जनपद सदस्य एवं भाजपा युवा नेता आयुष मिश्रा का कहना है कि ग्राम चंगेरी के जितने भी मजदूरों का भुगतान नहीं हुआ है, शासन संज्ञान लेकर त्वरित कार्रवाई करें,

वही जिला पंचायत सदस्य एवं मरवाही आदिवासी युवा नेता शुभम पेद्रो ने कहा कि सरकार की योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना लक्ष्य है, कोई भी व्यक्ति इससे नहीं छूटेगा, मामले का संज्ञान लेते ही त्वरित कार्रवाई किया जाएगा,

वही मरवाही सीओ नारद मांझी ने कहा ग्राम चंगेरी के मजदूरों का भुगतान के संदर्भ मे मामले का संज्ञान लेकर जांच कराकर त्वरित कार्रवाई किया जाएगा,

बहरहाल नवनिर्मित जिला गौरेला पेड्रा मरवाही बनने के बाद करोड़ों रुपए की सौगात देकर विकास की गंगा लगातार बहाई जा रही है, पर विकास की गंगोत्री का पानी ग्राम चंगेरी के गरीब मजदूरों के घर तक अभी तक नहीं पहुंचा,

अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल और चर्चित विधानसभा सीट मरवाही जिसकी चर्चा मरवाही से लेकर दिल्ली के संसद तक चलती है उस मरवाही के मछुआ बहुल क्षेत्र चंगेरी के गरीब मजदूरों के खून पसीने की कमाई और उनका हक प्रदान करने मे सक्षम अधिकारी के द्वारा अगला कौन सा ठोस कदम उठाया जाता है,