कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) आयुष सिंह: श्रीराम दरबार में सोमवार को प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कथा वाचिका जया किशोरी भी पहुंची थी। शाम को जया किशोरी की राम कथा आयोजित की गई। इस अवसर पर उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए राजस्व मंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए कि किसी एक व्यक्ति के द्वारा किया गया। प्रयास भी समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
कथा वाचिका जया किशोरी ने श्रीराम चरित्र कथा का संक्षिप्त वर्णन करते हुए कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का आचरण हम सभी के लिए वह प्रेरणा है। जिसका अनुशरण करने मात्र से हमारे व्यक्तित्व और कृतृत्व में बदलाव आ सकता है। राजस्व मंत्री के प्रयासों से राम दरबार की स्थापना पर अपनी बात रखते हुए जया किशोरी ने एक प्रेरक प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि एक बार गांव में बारिश के नहीं होने पर जब ग्रामवासी एक संत के पास पहुंचे तो संत ने उस गांव के सुखे कुंए में सभी ग्रामवासियों को एक-एक लोटा दूध कुंए में डालने के लिए कहा। संत के इस आदेश का सभी गांव वालों ने पालन भी किया। इस दौरान गांव के एक कंजूस सेठ ने सोचा कि गांव के सभी लोग कुंए में दूध डाल रहे हैं ऐसे में यदि मैं एक लोटा पानी डाल दूंगा तो क्या बिगड़ेगा और उसने यही किया । कुएं में इस प्रयास के बाद भी गांव में बारिश नहीं हुई तब ग्रामवासी फिर संत के पास पहुंचे। संत ने उन्हें कुंए के पास पहुंचकर देखने को कहा। जब सभी गांव वासी वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा तो कुएं में तो पानी ही पानी है। इसका मतलब गांव के सभी लोगों ने उस सेठ की तरह सोचा कि यदि मैं एक लोटा पानी डाल दूंगा तो क्या बिगड़ेगा। जया किशोरी के इस प्रसंग का साफ अर्थ था कि यदि सभी की सोच नाकारात्मक होगी तो किया गया प्रयास भी असफल ही होगा। इसीलिए सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयास भी सकारात्मक ही होना चाहिए।