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कोरबा I कोरबा में राख की समस्या से यहां की जनता पिछले 5 साल से परेशान हो रही है। लो-लाइन के बदले परिवहन कर्ता राखड़ को खुले में फेंक भाग निकलते है, ये काम ठेका कंपनी के लोगो से ज्यादा पेटी ठेकेदार करते नजर आते है इसका कारण साफ है ज्यादा से ज्यादा फेरे लगाकर अपनी कमाई को बढ़ाना ! इस बीच गाहे बगाहे राजनेताओं के भी विरोध देखने को मिलता है इसका कारण अब सामने आया है।
राखड़ परिवहन का ठेका लेना… इसका सबसे कम लेकिन तल्ख विरोध अगर कोरबा में किसी नेता ने किया है तो वो है राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल !
हमारे हाथ लगे दस्तावेज बताते है कि समय समय पर मंत्री जी जुड़े लोग राखड़ परिवहन में शामिल रहे है। जिसमे (आर के टी सी) एवं उनके भतीजे समेत उनके बेटों की कंपनी शांति इंजिकॉम भी शामिल है। ताज़ा ठेका उनके साले सजन अग्रवाल की कंपनी को सीएसईबी के गोढ़ी राखड़ डेम में मिला है जिसको मानिकपुर खदान में राख डंप करना है लेकिन उनकी राख डामर फैक्ट्री के पास खुले में डंप हो रही है जिससे लोगो की सेहत पर असर पड़ रहा है लेकिन इससे मंत्री की जेब जरूर भारी हो रही है।
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ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की ठेके के फेर में राजनेता दबाव की राजनीति करते है। राजस्व मंत्री के एक ऐसे ही विरोध का वीडियो जमकर वायरल हुआ था जब वो आखिरी बार राखड़ का घूम घूम कर विरोध करते अधिकारियों पर खरी खोटी सुना रहे थे जबकि जब उनके करीबी 3 साल तक राखड़ परिवहन का काम करते रहे तब उनका विरोध सामने नहीं आया था।
हालाकि ठेके के इस खेल में भाजपाई भी पीछे नहीं है उनके नाम भी वर्क ऑर्डर जारी होते रहे है।
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