कोरबा( सेंट्रल छत्तीसगढ़)कोविड संक्रमण के इस दौर में जब कोरोना की कोई विशेष दवाई नहीं मिल पाई है, कोविशील्ड और कोवेक्सीन जैसे कोरोना के टीके ही बचाव के एकमात्र साधन बन गये हैं। कोरोना के टीकों ने एक ओर तो दूसरी लहर के दौरान टीका लगे लोगों को संक्रमण से बचाया है वहीं दूसरी ओर संक्रमण होने पर भी टीका लगे लोगों को गंभीर अवस्था में पहुंचकर मौत के गाल में जाने से बचाया है। करतला विकासखंड के किसान श्री अशोक कुमार सिंह का परिवार इसका जीता-जागता उदाहरण बन गया है। श्री अशोक कुमार के 15 साल के बेटे दिव्यप्रताप को सर्दी-खांसी और बुखार होने पर कोरोना की जांच कराई गई थी। 24 अपे्रल को उसकी जांच रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। डाॅक्टरों ने उसे होम आइसोलेशन में रखकर ईलाज की सुविधा दी थी। समय पर दवाईयों के सेवन और कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करने से लगभग पांच दिन बाद ही दिव्यप्रताप ठीक हो गया था। कोरोना के बाद डाॅक्टरों ने उसे स्वास्थ्य लाभ के लिए अगले कुछ और दिन आराम की सलाह दी थी।
बेटे के कोरोना पाॅजिटिव होने के बाद भी कोविड प्रोटोकाॅल के साथ उसकी देखभाल करने वाले लगभग 55 वर्षीय पिता श्री अशोक सिंह पूरी तरह स्वस्थ्य रहे। यही नहीं एक ही घर में रहते हुए दिव्यप्रताप के 84 वर्षीय दादा और अशोक सिंह के पिता श्री रामेश्वर सिंह को भी कोरोना छू भी नहीं पाया। अशोक सिंह हाई ब्लड पे्रशर के साथ हाई डायबिटीज के भी मरीज हैं। वे इसके लिए रोज दवाई खाते हैं। इसके बाद भी श्री सिंह अपने और अपने पिता के कोरोना संक्रमण से बचे रहने का सबसे महत्वपूर्ण कारण टीका को मानते हैं। श्री सिंह बताते हैं कि उन्होने और उनके पिता ने 31 मार्च को करतला स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना का पहला टीका लगवाया था। टीका लगवाने के बाद हल्का बदन दर्द एवं सिर दर्द रहा। वह भी दूसरे दिन ठीक हो गया। बेटे दिव्यप्रताप के कोरोना संक्रमित होने के बाद कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए उसकी दवाईयों, खान-पान आदि का ध्यान भी श्री सिंह ही रखते थे। वे बताते हैं कि कोरोना का टीका लगने के कारण ही घर में कोरोना पाॅजिटिव मरीज होने के बाद भी उन्हें और उनके बुजुर्ग पिता को कोरोना नहीं हुआ।
कोरोना का टीका लगवाने को लेकर श्री सिंह का दृष्टिकोण स्पष्ट है। वे कहते हैं कि मैंने वैज्ञानिकों के तथ्यों को जब अपने साथ जोड़कर विश्लेषण किया तो कोरोना से बचाव के लिए मुझे अभी के समय में टीका ही सबसे बड़ा साधन समझ आया है। श्री सिंह कहते हैं कि टीके का पहला डोज लगाने के 15 दिन बाद शरीर में कोरोना के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होना वैज्ञानिक बताते हैं। इस हिसाब से ही मेरे शरीर में 15 अपे्रल के आसपास कोरोना के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई होगी, जिससे 24 अपे्रल को मेरे बेटे के संक्रमित होने के बाद भी मुझे कोरोना नहीं हुआ। श्री सिंह अभी भी टीके को ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा साधन मानते हैं और अपने आसपास के सभी लोगों को कोरोना का टीका लगवाने के लिए पे्ररित करते रहते हैं। वे लोगों को हमेशा आप बीती सुनाकर कोरोना का टीका लगाने के फायदे समझाते हैं।