बुधवार को मनाया जाएगा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्मोत्सव.

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी बुधवार 21 अप्रैल को रघुकुल भूषण मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. इस दिन कर्क लग्न और कर्क राशि का शुभ मुहूर्त सुबह 11:13 से दोपहर 12:28 तक अभिजीत मुहूर्त के रूप में माना गया है. जो कि भगवान श्रीराम जन्मोत्सव के लिए अत्यंत शुभ है. दशरथ नंदन भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली में सभी ग्रह उच्च योग के रहे हैं. संयोग से बुधवार को भी सूर्य उच्च राशि में है और नक्षत्र भी पुष्य है.

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव

रामनवमी के दिन श्रीराम लला को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें स्थापित करना चाहिए. इसके बाद भगवान को चंदन, अबीर, गुलाल, हल्दी लगाएं. रामलला को नवमी के दिन झूला भी झूलाया जाता है. इस दिन श्रीराम रक्षा स्त्रोत, श्री हनुमान चालीसा, श्री गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना विशेष फलदाई होता है. इक्शवाकु वंश के राजा रामचंद्र जी स्वयं गायत्री मंत्र के महान उपासक रहे हैं. वे हर दिन यज्ञ भी किया करते थे.

इन मंत्रो से भी भगवान राम की स्तुति कर सकते हैं :

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।

सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।

कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥

यज्ञ करने का विधान

रामनवमी या नवमी तिथि में यज्ञ करने का विधान है. इस दिन यज्ञ कुंड को पूरी तरह साफ करके आम, पलाश और पीपल की लकड़ी से हवन करना चाहिए. यज्ञ की आहुति (सांकल) में घी, कपूर, जटामासी, अगर, तगर, जावित्रि जैसी विभिन्न जड़ी बूटी और औषधियां डालें और अग्नि देव को अर्पित करें.

मनोकामनाएं होती है पूरी

यज्ञ कुंड के चारों ओर जल का छिड़काव किया जाता है. वेद के लकड़ी दान मंत्रों के माध्यम से अग्निकुंड को लकड़ी अर्पित की जाती है. साधक ओम अग्नेय स्वाहा। इदं अग्नये इदं नमम् ।। मंत्र से यज्ञ में घी की आहुति से यज्ञ शुरू करें. साथ ही भगवान श्रीराम के 108 नामों से यज्ञ करने से मनोकामनाएं भी सिद्ध होती है.

कन्या भोजन का महत्व

रामनवमी जिसे महानवमी भी कहा जाता है इस दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने का भी विधान है. चूंकि ये नवरात्र के समापन का भी दिन है. इसलिए इस दिन कन्या पूजन का विषेश महत्व है. कोरोना के इस विपदा काल में कोविड पीड़ितों को भोजन कराकर हम ईश्वर के भेजे हुए दूतों की सेवा कर प्रभु सेवा का लाभ ले सकते हैं.