बीजापुर में महिलाओं ने सुरक्षाबलों और डीआरजी के जवानों पर लगाये मारपीट के आरोप, आईजी ने किआ खंडन.


बीजापुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): 
बीजापुर में ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों के जवानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. गांव वालों का आरोप है कि, पूसनार वड्डे पारा में डीआरजी जवानों ने महिलाओं के साथ छेड़खानी की (Bijapur jawans accused of assaulting women) है और उनकी झोपड़ियों में तोड़फोड़ की है. डीआरजी जवानों पर मूलवासी बचाओ मंच की अध्यक्ष सोनी पुनेम और पदाधिकारियों ने यह गंभीर आरोप लगाए हैं. आंदोलनकारियों ने कहा है कि उनकी पुलिस से कोई दुश्मनी नहीं है. लेकिन आंदोलन की अनुमति लेने के बाद भी उन्हें परेशान किया जा रहा है.

गांव वालों का आरोप है कि जवानों ने उनके घर पर लॉन्चर दागे हैं. जिसकी वजह से वह घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं. गांव वालों का यह भी कहना है कि जो लॉन्चर नहीं फटे हैं उन्हें संभालकर रखा गया है. दंतेवाड़ा के डीआरजी जवानों पर मूलवासी बचाओ मंच बूरजी की अध्यक्ष सोनी पुनेम और पदाधिकारीयों ने गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी है. आंदोलनकारियों ने कहा कि उनकी पुलिस से कोई दुश्मनी नहीं है. आन्दोलन के लिए विधिवत अनुमति ली गई है.इस मामले में अब तक पुलिस प्रशासन का कोई पक्ष नहीं आया है.

बस्तर आईजी ने आरोपों का किया खंडन

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने ग्रामीणों के आरोप को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि, ‘यह पुलिस फोर्स के खिलाफ झूठा प्रचार है. बीजापुर में नक्सल विचारधारा से प्रभावित लोग पुलिस फोर्स के खिलाफ झूठा प्रचार कर रहे हैं. ताकि जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा सके. ऐसे लोगों की पहचान कर पुलिस फोर्स उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी. सुंदरराज पी ने बताया कि इस तरह के प्रदर्शन में नक्सलियों की तरफ से निर्दोष ग्रामीणों को धमकाकर शामिल किया जा रहा है. ताकि पुलिस के नक्सल विरोधी अभियान में रुकावट पैदा हो सके’.

दिसंबर 2020 में भी जवानों पर लगे थे गंभीर आरोप

इससे पहले दिसंबर 2020 में गंगालूर इलाके में जवानों पर मारपीट का आरोप लगा थागंगालूर इलाके के पावरेल-सवारेल समेत कई गांव के ग्रामीण नए पुलिस कैंप के विरोध में धरना स्थल की ओर जा रहे थे. इसी दौरन ग्रामीणों से जवानों ने मारपीट की घटना हुई थी. ग्रामीणों में आदिवासी महिलाएं भी शामिल थीं.