बिलासपुर: निजी स्कूलों की फीस वसूली पर हाईकोर्ट ने मांगा शासन से जवाब…

बिलासपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश जारी करने के बाद भी निजी स्कूल छात्रों के परिजनों से ट्यूशन फीस ले रहे हैं. स्कूल प्रबंधन पर फीस वसूली को लेकर परिजन लगातार आरोप लगा रहे हैं कि निजी स्कूल ट्यूशन फीस के नाम पर पूरी फीस वसूल करने लगे है.

इस संबंध में राजधानी रायपुर की पूर्व बैंकर प्रीति उपाध्याय ने ट्यूशन फीस के नाम पर मोटी फीस वसूली करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट ने दी थी फीस लेने की अनुमति

बता दें, लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने निजी स्कूलों कि फीस वसूली पर रोक लगा दी थी, जिसके खिलाफ निजी स्कूलों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. स्कूलों की ओर से तर्क दिया गया था कि अगर उन्हें फीस लेने की अनुमति नहीं मिलेगी तो वे अपने कर्मचारियों और शिक्षकों का वेतन कैसे भुगतान करेंगे. निजी स्कूलों ने कहा था कि उन्हें कम से कम ट्यूशन फीस लेने की अनुमति हाईकोर्ट प्रदान करें.

पालकों को गुमराह करके मोटी फीस वसूली

निजी स्कूलों की इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए तब उच्च न्यायालय ने राहत देते हुए उन्हें ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दे दी थी, लेकिन परिजनों का आरोप है कि अब इसी आदेश के आड़ में निजी स्कूलों ने उच्च न्यायालय के आदेश पर पालकों को गुमराह करते हुए मोटी फीस वसूली शुरू कर दी है.

ट्यूशन फीस के लिए कमेटी गठन करने की मांग

केस में याचिकाकर्ता प्रीति उपाध्याय ने अपनी याचिका में एक कमेटी के गठन की मांग उठाई है, जो निजी स्कूलों की फीस वसूली पर नजर रखेगी और तय करेगी कि निजी स्कूलों को कितनी फीस वसूल करनी है. याचिका में ट्यूशन फीस को परिभाषित करने की भी मांग उठाई गई है.

दो बच्चों कि मां प्रीति उपाध्याय का अपनी याचिका में कहना है कि 8 घंटे का स्कूल मोबाइल पर डेढ़ घंटे में निपटाया जा रहा है. अब मामले पर 6 हफ्ते बाद दोबारा जस्टिस पी सेम कोशी की सिंगल बेंच में सुनवाई होगी.

साकेत वर्मा की रिपोर्ट…!