कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए जिले के किसानों के लिए फसलों की तैयारी करने एवं पशुपालन से संबंधित विशेष बातों का ध्यान रखने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सलाह जारी की गई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा जिले के किसानों के लिए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा अंतर्गत यह सलाह जारी की गई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार आने वाले पांच दिनों में जिले के अधिकांश स्थानों पर हल्की से भारी वर्षा होने की संभावना जताई गई है। मौसम आधारित कृषि सलाह के अंतर्गत मानूसन की गतिविधियों को देखते हुए जिले के किसानों को खरीफ मौसम में लगने वाले बीज, उर्वरक एवं अन्य आदान सामग्रियों की व्यवस्था कर उनका सुरक्षित भण्डारण करने की सलाह दी गई है। किसानों को बारिश के मौसम में साग-सब्जी वाले खेतों में उचित जल निकास की व्यवस्था करने एवं खेत की सफाई तथा मेड़ों की मरम्मत आवश्यक रूप से समय पर करने की सलाह दी गई है। किसानों को अनाज, फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों की तैयारी करने की भी सलाह दी गई है। वर्षा कालीन सब्जियों की पौध तैयार करने के लिए तथा कद्दु वर्गीय, लौकी, करेला एवं बेल वाली बागवानी फसलो को बाड़ी में लगाने की भी सलाह दी गई है। सीधे बुआई वाली सब्जियों के उन्नत किस्मों की व्यवस्था कर योजना अनुसार खेती की तैयारी करने की भी सलाह दी गई है। कृषि वैज्ञानिकों ने अमरूद, आम, नींबू एवं अनार में छंटाई करने तथा छटाई किए हुए शाखा के शीर्ष पर बोर्डो पेस्ट का लेपन करने की सलाह भी दी है।
बारिश में पशुओं को रोग से बचाने टीकाकरण अवश्य कराएं- फसलों की तैयारी के साथ ही जिले के पशुपालकों को अपने मवेशियों का ध्यान रखने और बारिश के मौसम में बीमारियों से बचाने विशेष ध्यान रखने की भी सलाह दी गई है। कृषि वैज्ञानिकों ने पशुओं को गलघोटु एवं लंगड़ी रोग से बचाने के लिए टीकाकरण करवाने की सलाह किसानों को दी है। चार माह से अधिक उम्र की बकरियों को गोट प्लैट रोग से बचाव के लिए एवं चार से आठ माह की बछिया को बुफेलोसिस या संक्रामक गर्भपात से बचाने के लिए टीकाकरण करवाने की विशेष सलाह दी गई है। साथ ही किसानों को अपने पालतू पशुओं को साफ पानी पिलाने एवं साफ एवं सुरक्षित जगह में रखने की भी सलाह दी गई है।
धान के बीज को उपचारित कर बुआई करें किसान- कृषि वैज्ञानिकों ने मानसून वर्षा प्रारंभ होने के साथ ही खेतों की जुताई कर खरीफ फसलों की बुआई करने की अपील किसानों से की है। आवश्यकतानुसार खेतों को तैयार कर धान, अरहर एवं मक्का आदि फसलों की बुआई करने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने धान का थरहा डालने या बुआई करने से पहले स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करने की सलाह दी है। प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीजों को पैकेट में प्रदाय किए गए फफूंद नाशक से अवश्य रूप से उपचारित करने की सलाह भी दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्र के लगभग दसवें भाग में नर्सरी तैयार करने एवं मोटा धान वाली किस्मों की मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या पतला धान की किस्मों की मात्रा चार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालने की सलाह किसानों को दी है।