- नई दिल्ली (सेंट्रल छत्तीसगढ़) ब्यूरो रिपोर्ट :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार’ विषय पर आयोजित कॉन्क्लेव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति में किए गए बदलाव से होने वाले फायदों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में किताबों के बोझ को कम किया गया है. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पांचवी तक की पढ़ाई मातृभाषा में होगी. इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी.राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पीएम मोदी का संबोधन
प्रमुख बिंदु
- जितनी ज्यादा जानकारी स्पष्ट होगी, फिर उतना ही आसान इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन भी होगा. तीन-चार साल के व्यापक विचार-विमर्श के बाद, लाखों सुझावों पर लंबे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृत किया गया है.
- उन्होंने कहा कि यह भी खुशी की बात है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से यह बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का भेद-भाव है, या किसी एक ओर झुकी हुई है.
- उन्होंने कहा, ‘आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन से सीधे तौर पर जुड़े हैं और इसलिए आपकी भूमिका बहुत ज्यादा अहम है. जहां तक राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं’.
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की नए भारत की नीव तैयार करने वाली है.
- बीते अनेक वर्षों से हमारे शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं हुए थे. परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में जिज्ञासा को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था.
- यह नीति छात्रों में, युवाओं में अभिनव क्षमता विकसित करेगी. साथ ही उन्हें सशक्त बनाएगा.
- इससे भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करेगा.
- जड़ से जग तक, मनुज से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक, सभी बिंदुओं का समावेश करते हुए, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप तय किया गया है.राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पीएम मोदी का संबोधन
- अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें ‘क्या सोचें’ पर फोकस रहा है। जबकि इस शिक्षा नीति में ‘कैसे सोचें?’ पर बल दिया जा रहा है.
- अब कोशिश ये है कि बच्चों को सीखने के लिए डिस्कवरी आधारित, चर्चा आधारित और विश्लेषण आधारित तरीकों पर जोर दिया जाए. इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी.
- जब युवा गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र शिक्षा और श्रम की गरिमा पर बहुत काम किया गया है.
- भारत का सामर्थ्य है कि कि वो टैलेंट और टेक्नॉलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है. शिक्षा नीति में इस पर भी ध्यान दिया गया है.
- वर्चुअल लैब जैसे कॉन्सेप्ट ऐसे लाखों साथियों तक बेहतर शिक्षा के सपने को ले जाने वाला है, जो पहले ऐसे विषय पढ़ ही नहीं पाते थे जिसमें लैब एक्सपेरिमेंट जरूरी होते थे.
- संस्थानों को भी सशक्त किया जाएगा.
- जो संस्थान श्रेष्ठ शिक्षा के लिए ज्यादा काम करे, उसको ज्यादा आजादी दी जानी चाहिए. इससे गुणवत्ता को प्रोत्साहन मिलेगा.
- एस नीति में प्रयास ये भी है कि भारत का जो टेलेंट है, वो भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे.
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक प्रशिक्षण पर बहुत जोर है.
कॉन्क्लेव का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) द्वारा किया जा रहा है. सम्मेलन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत शामिल उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जा रहा ही.
बता दें कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है
नई शिक्षा नीति प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलावों को लेकर आएगी. बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया गया है. इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी. कक्षा पांच तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा. रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी.