पाली :शरद पूर्णिमा पर पाली में मानस प्रवचन का आयोजन…


:-पंडित जय प्रकाश पांडे ने कराया कथा श्रवण

कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़):-पाली के मां महामाया देवालय परिसर में इस वर्ष भी शरद पूर्णिमा महोत्सव,भक्तिमय वातावरण में मनाया गया,जिसमें दो दिवसीय मानस सत्संग का आयोजन रखा गया।
प्रवचन की कड़ी में बिलासपुर जिले के ग्राम टेकर (बेलतरा) निवासी प्रवचनकार पंडित श्री जयप्रकाश पांडेजी के मुखारविंद से मानस के अनेक प्रसंगों का बहुत हो सरल,सुस्पष्ट, भाषा में कथा श्रवन करने को मिला । पांडेजी ने बताया कि भगवान राम का चरित्र अनुकरणीय,है रामजी भी हमारे ही तरह मनुष्य का अवतार लेकर आए थे,पर अपने चरित्र,आचरण के बल पर भगवान के रूप में पूजे जाते हैं और इसी से उन्होंने असत्य,अत्याचार,बुराई रूपी रावण पर विजय प्राप्त की।जीवन में यदि विजय प्राप्त करनी है तो वो केवल चरित्र के बल पर प्राप्त की जा सकती है।माता, पिता और गुरु के प्रति निष्ठा,विश्वास और सच्चा प्रेम होना चाहिए।रामजी स्वयं इसका अनुकरण करते हुए कहते हैं कि प्रातः काल उठि के रघुनाथ। , मात पिता गुरु नवहि माथा,।। चरित्र सुधारने के लिए सत्संग की बड़ी महिमा है,सत्संग से ही जीवन जीने का सही ढंग प्राप्त कर सकते हैं। हमारे यहां दो शब्द है एक है शिक्षा,और एक है दीक्षा,। शिक्षा चेतन मन पर काम करती है दीक्षा अवचेतन मन पर काम करती है। शिक्षा बुद्धि को सुधारती है, पर दीक्षा मन को बदलती है पर दीक्षा मन को बदलती है स्वभाव को बदलती है हम लोग शिक्षा शिक्षा करते हैं पर दीक्षा का पता नहीं कई संत ऐसे हुए जिनके जीवन में शिक्षा नहीं थी पर दीक्षा थी इसलिए वह बोल कर तो नहीं बता पाते थे पर जिंदगी सही जीते थे और हम लोग शिक्षा में बोलकर तो सही बताते हैं पर दीक्षा के अभाव में जिंदगी सही जी नहीं पाते हैं? स्वभाव चरित्र जब बदलेगा- कबीरा यह मन मलीन है, धोएं न छूटे रंग। कै छूटे हरि नाम सो, कै छूटे सत्संग। स्वभाव चरित्र जब बदलेगा तो केवल एक ही उपाय है वह है सत्संग। अपनी पत्नी रत्नावली के क्षण भर के सत्संग से तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना कर डाली किसी ने तुलसीदास जी से पूछा कि कल्याण कैसे प्राप्त की जा सकती है तुलसीदास जी कहते हैं कल्याण पाने के लिए दो बातों की जरूरत है पहला यदि भगवान की कथा मन सुन ले तो और मन की व्यथा भगवान सुन ले तो जीवन में कल्याण हो सकता है इसलिए मैंने अपनी व्यथा को भगवान के इस ग्रंथ में निवेदन कर दी क्योंकि मेरा मन इतना व्यथित है की भगवान की कथा सुन नहीं पा रहा इसलिए हे प्रभु आप मेरी व्यथा ही सुन लीजिए। विश्राम दिवस के अवसर पर शरद पूर्णिमा के महत्व को बताते हुए पंडित जयप्रकाश जी कहते हैं की इस रोज चांद अपने 16 कलाओं से अमृत की वर्षा करते हैं जिससे विश्व के सभी जीव सुख और शांति का अनुभव करते हैं इस दिन खीर का प्रसाद बनाकर उसे चंद्रमा की शीतल किरणों के सम्मुख रख दिया जाता है जिसमें उस खीर में कई प्रकार के औषधीय गुण आ जाते हैं जिसे खाने से तन और मन दोनों में दिव्यता आ जाती है और कई प्रकार की रोग दूर हो जाते हैं खासकर दमा स्वास की बीमारी बहुत ही जल्दी ठीक भी हो जाती है। इसी रात्रि को भगवान कृष्ण ने राधा और गोपियों के संग महरास की दिव्य लीला की थी जिसमें आत्मा और परमात्मा का संपूर्ण मिलन हुआ था भगवान कृष्ण अपने भक्तों से कहते हैं कि सब कुछ छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ मैं तुम्हें अपना लूंगा इस तरह कई प्रसंगों पर अपनी सरल भाषा में उपस्थित श्रोताओं का मन मुग्ध कर दिया। इस आयोजन को सफल बनाने में श्री तुलसी मानस समिति पाली का बड़ा योगदान रहा जिसमें ज्ञान सिंह राजपाल महावीर चंद्रा, हरीश चंद्र जायसवाल, नटवरलाल मारू, गुहाराम पांडे,परमजीत सिंह,,मदन चौबे, गुरदयाल सिंह ,श्रीमती प्रतीक्षा शर्मा श्रीमती कमला देवी और अन्य गणमान्य नागरिकों का विशेष योगदान रहा। आभार प्रदर्शन करते हुए श्री राम हरे जायसवाल गुरुजी ने कहा की राम का चरित्र अपनाने ही योग्य है। मंच का बहुत ही सफल ढंग से संचालन दिनेश जायसवाल गुरु जी ने किया।