कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): कोरोनाकाल के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं में कसावट लाने के मकसद से कोरबा जिले की जिलाधीश श्रीमती किरण कौशल इन दिनों निरन्तर जिलेभर के दौरे पर है. जिलाधिकारी श्रीमती कौशल का पूरा ध्यान फिलहाल कोरबा के भीतर कोरोना संक्रमण को रोकने के साथ ही कोरोना की आढ़ लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं की बंदरबांट करने वाले स्वास्थ्य संस्थाओं, अस्पतालों पर लगाम लगाना भी है. इस बाबत मुख्यालय स्तर पर निगरानी टीम तैयार की गई. स्वास्थ्य संस्थानों के कोविड से जुड़े कामकाज की बारीकी से समीक्षा की जा रही है, मीडिया, सोशल मीडिया के माध्यम से जरूरी दिशानिर्देश जारी किए जा रहे है. प्रशासन के इन तमाम प्रयासों के बावजूद जिले के उपनगरीय इलाको में मौजूद अस्पताल ना सिर्फ इस आपातकाल में कोविड एसओपी को ताक पर रख रहे बल्कि जिला कलेक्टर के महत्वपूर्ण निर्देशो को भी ठेंगा दिखा रहे. ऐसे रसूखदार अस्पताल संचालको को इस आपातकाल में ना ही प्रशासन के अधिकारो का भान है और ना ही कार्रवाई का भय. बेलगाम हो चुके यह अस्पताल अब सीधे सीधे अपने हेल्थ प्रोटोकॉल को ठेंगा दिखाने से भी नही चूक रहे.
नया मामला पाली के विनायक अस्पताल से जुड़ा है. यहां इस निजी अस्पताल का रुतबा इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा कि विनायक अस्पताल के प्रबंधन को कलेक्टर के आदेश की थोड़ी भी फिक्र नही है. दरअसल अक्सर अपने कार्यशैली को लेकर विवादों में रहने वाले विनायक अस्पताल को पिछले महीने जिला कलेक्टर ने कोविड मरीजो के इलाज के लिए अनूसूचित किया था. इस सम्बंध में सीएमएचओ व पाली एसडीएम को आवश्यक कार्रवाही करते हुए अस्पताल को कोविड मरीजो की जरूरत के अनुरूप तैयार करने और समस्त प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उपचार शुरू करने के निर्देश दिए थे. ईन निर्देशो के बाद विनायक अस्पताल में कोविड मरीजो का उपचार शुरू हुआ.
चूंकि अस्पताल में कोविड संक्रमित मरीजो का इलाज जारी था लिहाजा सिविलियन मरीजो और आम लोगो का प्रवेश अस्पताल में प्रतिबंधित था. इसी महीने 4 मई को जब जिला कलेक्टर ने पाली का दौरा किया तब वे विनायक अस्पताल का अवलोकन करने पहुंची. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोविड एसओपी के पालन में भारी लापरवाही बरती जा रही है. यहां के स्टाफ द्वारा ना ही मास्क, सेनेटाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा था और ना ही अन्य गाइडलाइन का पालन. इसी तरह अस्पताल ने निर्देशो के विपरीत कोविड संक्रमित और आम लोगो के आने जाने के लिए अलग अलग द्वार भी तैयार नही किया था. विनायक अस्पताल के इन लापरवाहियों को सुरक्षा में गंभीर खामी मानते हुए जिलाधीश श्रीमती किरण कौशल ने तत्काल अस्पताल से कोविड इलाज का अधिकार वापिस लेने और पूरे संस्थान को 15 दिनों के लिए पूरी तरह से सील करने के निर्देश दिए. इसके पश्चात अमले ने अस्पताल को 4 मई से 19 मई के लिए पूरी तरह सील कर दिया.
लेकिन इसी बीच जानकारी मिली कि अस्पताल के निदेशक के द्वारा बीते 10-11 मई को ही अपने स्टाफ को अस्पताल बुलाकर और सीलिंग तोड़कर फिर से आम लोगो का इलाज शुरू कर दिया. जो कि जिला कलेक्टर कार्यालय के आदेशों की अवमानना है. मीडिया ने जब सीलिंग तोड़े जाने के सम्बंध में विकासखंड के मेडिकल ऑफिसर सीएल रात्रे से जानकारी चाही गई तो उन्होंने अस्पताल के संचालन के बारे में मालूम नही होने की बात कही. इसी तरह तहसीलदार ने भी अनभिज्ञता जाहिर की. मीडिया ने जिला स्तर पर सीलिंग खोले जाने के बारे पतासाजी की तब पता चला कि मुख्यालय ने भी अस्पताल को किसी तरह की राहत नही दी है. इस तरह विनायक अस्पताल ने हमेशा की तरह एक बार फिर से शासकीय निर्देशो को दरकिनार करते हिये अपनी मनमानी शुरू कर दी है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि नगर के सबसे बड़े निजी अस्पताल के अनसिलिंग की जानकारी स्वयं बीएमओ सरीखे अधिकारी को नही है. अब सवाल उठता है कि जब कलेक्टर कार्यालय ने अस्पताल के कामकाज पर 15 दिनों का प्रतिबंध लगाया था तो महज छह दिनों बाद किनके आदेश पर अस्पताल का सील खोला गया? दूसरा बड़ा सवाल की सीलिंग खोलने के दौरान विभाग के कौन से बड़े अधिकारी मौजूद थे? इस पूरे गम्भीर मामले से जिला कलेक्टर कार्यालय को अवगत कराया गया है. देखना होगा कि मुख्यालय विनायक अस्पताल प्रबंधन और पाली खंड के दोषी अधिकारियों पर किस तरह की कार्रवाई सुनिश्चित करता है.