पाली : मछली उत्पादन बनेगा महिलाओं के आजीविका का जरिया.. क्षेत्रीय विधायक केरकेट्टा व DFO फारुखी ने किया वन समिति महिलाओं को मछली बीज का वितरण.

कोरबा/पाली ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): आधी आबादी हर वह काम कर सकती है जो पुरुष करते हैं. चाहे वह कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो. यह भी सच है कि वजर्नाएं जब टूटती हैं तो इतिहास बनता है. मछली मारना और मत्स्यपालन जैसे कार्य को आमतौर पर पुरुष ही करते हैं लेकिन अब इस काम में भी महिलाओं ने अपने कड़ी मेहनत के दम पर समाज के सामने एक मिसाल पेश को तैयार है.

पाली विकाशखण्ड के ग्राम पंचायत बतरा की लगभग पांच महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को विधायक मोहितराम केरकेट्टा, कटघोरा DFO शमा फारुखी तथा वन समिति के द्वारा लगभग 6000 मछली बीज का वितरण किया गया. विधायक केरकेट्टा ने समूह की महिलाओं को स्वावलंबी बनने उन्हें बधाई दी. श्री केरकेट्टा ने महिलाओं को मछली उत्पादन से जोड़ने के लिए कटघोरा वन मण्डलाधिकारी शमा फारुखी से मछली बीजों के वितरण को लेकर योजना तैयार करने चर्चा की थी. DFO के निर्देशन पर वन समिति के द्वारा महिला समूह की महिलाओं को आज विधायक तथा DFO की मौजूदगी में महिलाओं को मछली बीज का वितरण किया गया.

आज की महिलाएं स्वावलंबन की ओर बढ़ रहीं है : शमा फरुखी

पाली विकाशखण्ड के वनांचल क्षेत्र के गांवों तालाबों की भरमार है. इन तालाबों का सही उपयोग नहीं हो पाता था. मछली का उत्पादन तो होता था लेकिन बहुत सीमित. एक समय मछुआरे इसी के सहारे अपने परिवार का पेट पालते थे. महिलाओं को चौखट के बाहर कदम रखने पर भी पाबंदी थी. यह मछुआरे जिनके तालाब में मत्स्यपालन करते थे, उनके ही घरों में ये औरतें घरेलू काम करती थी. कुल मिला कर हालत बहुत दयनीय थे क्षेत्रीय विधायक मोहितराम केरकेट्टा जी के निर्देश पर वन प्रबंधन समितियों ने इन महिलाओं को ही जागरूक करने का निश्चय किया. उन्हें यह बताया गया कि वह मछलीपालन द्वारा घर-परिवार की हालत सुधार सकती हैं. इसी के तहत आज ग्राम पंचायत बतरा के महिला समूहों को मछली बीज का वितरण किया है जिससे यहां की महिलाएं स्वावलंबी बन कर अपने परिवार का सहारा बन सकें.

समूह से जुड़कर आज महिलाएं कंगाली से खुशहाली तक – श्री केरकेट्टा

मीडिया से मुखातिब होते पाली तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा ने बताया कि समूह से जुड़कर आज महिलाएं पानी से पैसा निकालने के इस काम से इनके जीवन में बदलाव आ गया है. कल तक यह महिलाएं जो भूमिहीन थी, जो किसी के घर काम कर के दो जून का खाना बमुश्किल जुटा पाती थी. आज उनके पास अपना मकान है. बैंकों में निजी खाते और मोबाइल फोन है. इन महिलाओं में शिक्षा के प्रति भी जागरूकता आयी है. अंगूठा छाप महिलाएं अब शिक्षित हो कर अपना भला-बुरा खुद समझने लगी हैं. घर के पुरुष सदस्य जो इनकी कार्यक्षमता पर ऊंगली उठाते थे, आज वही इनका साथ दे रहे हैं. छ्त्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ने क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार देने की योजना बनाकर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया है. इसी को लेकर आज महिलाओं को मछली बीज का वितरण किया गया है.