पाली( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना:- 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरा होने के अवसर पर संपूर्ण देश में विजय दिवस के रूप में उत्सव मनाया जा रहा था और उस युद्ध में शहीद अमर जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया जा रहा था ,ऐसे में उस युद्ध में शहीद मुनगाडीह के लाल शत्रुघ्न प्रसाद डिकसेना का स्मारक उपेक्षित रहा।
यह विडम्बना ही कही जाएगी कि हमारे आज के सुनहरे भविष्य के लिए उन्होंने अपनी आहुति दे दी। और हम एक फूल अर्पित करने का समय भी नही निकाल पाए।
ग्राम पंचायत मुनगाडीह या प्रशासन, पुलिस या किसी भी दल, नागरिकों की ओर से किसी भी नुमाइंदे अथवा प्रतिनिधि ने शहीद चौक पर जाकर उसकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि देना भी मुनासिब नहीं समझा।सन 1971 के भारत-पाक युद्ध में ग्राम मुनगाडीह के शत्रुहन प्रसाद डिकसेना ने भी सैनिक की भूमिका अदा की और वीरगति को प्राप्त हुए थे। हालांकि उनकी शहादत दिवस 24 दिसंबर है, जहां कभी कभार कुछेक आयोजन होते हैं। लेकिन आज जब कि समूचे देश में 50 वीं वर्षगांठ विजय दिवस के रूप में मनाई जा रही थी और शहीदों को श्रद्धांजलि देकर विजय का उत्सव मनाया जा रहा था ऐसे में इस शहीद को भुला देना अत्यंत पीड़ा दायक है।इस चौक का रंग रोगन तो दूर …आज दिन भर स्मारक (चौक ) पर एक पुष्प चढ़ाने कोई नही आया।शहीद परिवार के परिजन ने इसके लिए प्रशासन को आड़े हाथों लिया ।शहीद के भाई भरत लाल डिकसेना
ने कहा कि उनके परिवार की सुध लेने में प्रशासन ने बड़ी देर कर दी।शहीद के परिजनों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है।और आज ये उपेक्षा ,अत्यंत दुखद है। बमुश्किल ग्राम मुनगाडीह के प्रवेश द्वार और चौक बनाया गया तथा शहीद की प्रतिमा स्थापित किया गया।लेकिन इसकी भी उपेक्षा बरकरार है। उन्होंने मुनगाडीह पर बन रहे सेतु का नाम शहीद के नाम पर करने की मांग की है साथ ही शहीद के परिजनों को मिलने वाली शासकीय सुविधाओं को शीघ्रता से शीघ्र पूरी करने अनुरोध किया है।