कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवाओं की स्वास्थ्य जांच के लिए जिले के स्वास्थ्य विभाग ने आज दूरस्थ ग्रामीण अंचलो के पारा बसाहटों तक पहुंचकर स्वास्थ्य शिविर लगाये। इन शिविरो में पहाड़ी कोरवाओं के सामान्य बीमारियों के लिए स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ सिकलिंग, मुधमेह, मलेरिया, कोरोना जैसी गंभीर बीमारियों की भी जांच की गई। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों और कर्मचारियों के दलों ने आज पहाड़ी कोरवाओं की बसाहटों सारबहार, छाताबहार, लामपहाड़, पेण्ड्रीडीह और राफ्ता पहुंचकर स्वास्थ्य जांच की। बड़ी संख्या में पहाड़ी कोरवाओं ने वृहद स्वास्थ्य शिविरों में उपस्थित रहकर अपनी और अपने बच्चों की स्वास्थ्य जांच कराई। इस दौरान पहाड़ी कोरवाओं की खून की भी जांच की गई। कोरोना का टीका भी लगाया गया। पहाड़ी कोरवा बच्चों की विशेष जांच कर कुपोषण और अन्य बीमारियों का भी पता लगाया गया। वनांचलो में रहने वाले पहाड़ी कोरवाओं को मलेरिया से बचाने के लिए मेडिकेटेड मच्छरदानियों का भी वितरण किया गया। इस दौरान पहाड़ी कोरवाओं को साफ-सफाई के फायदे भी बताये गये। नाखुन काटने के लिए नेल कटर और नहाने के लिए साबुन आदि का भी वितरण किया गया। बच्चों और युवाओं को कृमिनाशन दवाई एल्बेंडाजॉल की भी खुराक दी गई।
गौरतलब है कि जिले के दूरस्थ वनांचलों में रहने वाले पहाड़ी कोरवा विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग में शामिल है। राज्य शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस जनजाति के लोगों की निरंतर मॉनिटरिंग की जाती है। विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाकर पहाड़ी कोरवाओं का हेल्थ डेटाबेस तैयार कर हर महीने इनके स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी मानकों का सतत आंकन भी किया जाता है। इस हेल्थ डेटा के आधार पर ही पहाड़ी कोरवा जनजाति की गर्भवती महिलाओं को अति जोखिम वाली गर्भवती श्रेणी में मानकर उनके स्वास्थ्य की विशेष मॉनिटरिंग की जाती है और प्रसव के समय को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में प्रसव कराने की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है।