पर्यटन मण्डल में अनुराधा दुबे की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका HC में स्वीकार.

बिलासपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल के बहुचर्चित अनुराधा दुबे की नियुक्ति का मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है. अनुराधा दुबे को पर्यटन मण्डल में भारतीय जनता पार्टी के शासन-काल में पर्यटन अधिकारी के पद पर नियुक्ति की गई थी. जिसके बाद बघेल सरकार ने उनहें पर्यटन मंडल में जनसंपर्क अधिकारी बना दिया. इस नए पद को सृजित किया गया. फिर उन्हें इसकी कमान दी गई.

याचिका कर्ता ने अपने याचिका के जरिए मांग की है कि अनुराधा दुबे की नियुक्ति सही नहीं है. उन्हें निर्धारित योग्यता नहीं होने के बाद भी नियुक्त किया गया. अनुराधा दुबे की नियुक्ति नियम के खिलाफ हुई है. इस याचिका पर सुनवाई हुई जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है. सुशील शर्मा की पीआईएल नम्बर 85/2021 पर सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिश प्रशांत कुमार मिश्रा एवं न्यायाधीश एन के चन्द्रवंशी की डीविजन बेंच ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने संबधित पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.

मीसाबंदी पेंशन मामले में 4 सप्ताह बाद होगी अगली सुनवाई

मीसाबंदियों को पेंशन दिए जाने के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ राज्य शासन ने कई अपील डिवीजन बेंच में प्रस्तुत की है. जिसमें से 3 अपील आज लगी थीं. हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने सभी अपील की सुनवाई को 4 सप्ताह बाद एकसाथ सुनवाई करने के लिए रखा है. हालांकि शासन की अपील अभी स्वीकार नहीं हुई है. बतादें की भाजपा शासनकाल में मीसाबंदियों को पेंशन देने का स्कीम शुरू किया था. कांग्रेस सरकार के आते ही मीसाबंदियों के पेंशन को भौतिक सत्यापन के नाम पर बंद कर दिया गया. इसके खिलाफ एक के बाद एक सैकड़ों मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं पेश की. हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद सभी मीसाबंदियों के जनवरी 2019 से 2020 तक के रोके गए पेंशन दिए जाने का आदेश सुनाया. इस आदेश को लेकर राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में अपील प्रस्तुत की है. शासन के सभी अपीलों में 4 सप्ताह बाद एक साथ सुनवाई हो सकती है.