कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- पंचायतों में चल रहे विकास कार्यों में सीमेंट कंक्रीट सड़क और आरसीसी नाली निर्माण प्राथमिकता से किए जा रहे हैं, इसके पीछे कमीशन खोरी और निर्माण
सामग्री की बढ़ती कीमतों को बताया जा रहा है।
ग्राम पंचायतों में सीसी रोड और आरसीसी नाली को विकास कार्यों का पर्याय कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अधिकांश पंचायतों में यह दोनों कार्य ही कराए जा रहे हैं।इसके पीछे कार्यो की स्वीकृति से लेकर कार्य समाप्ति तक पूरी प्रक्रिया के एवज में बढ़ती कमीशन खोरी को बताया जा रहा है।एक ओर कार्य स्वीकृत कराने से लेकर अधिकारियों के टेबल से फाइल गुजरने तक कमीशन के दौर से गुजरना पड़ता है, तो वहीं दूसरी ओर रा मटेरियल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने ऐसे निर्माण कार्य जिसमें लागत अधिक और मुनाफा कम होता है ऐसे कार्यों से दूरी बना रहे हैं। निर्माण से जुड़े लोग बताते हैं कि कमीशन तो सभी कार्यों में देना पड़ता है लेकिन सीसी रोड में और आरसीसी नाली निर्माण में कम मजदूरी में कम संसाधन में शीघ्रता से कार्य पूरा हो जाता है। जिससे उनकी भी कमाई निकल जाती है ।कुछ समय पूर्व ईटों से नाली निर्माण किया जाता था ।आजकल यह बहुत कम देखने को मिल रहा है इसकी जगह सीमेंट के ढलाई से आरसीसी नाली निर्माण प्रचलन में आ गया है। पंचायत कार्य पंचायत में विकास कार्यों में भवन निर्माण ,बाउंड्री वाल अथवा अन्य कार्य भी हैं लेकिन ऐसे कार्यों की स्वीकृति कम ही कराई जाती है क्योंकि इनमें मुनाफा कम है, लागत अधिक! संसाधन ज्यादा लगते हैं ।गांवों में मजदूर भी आसानी से नहीं मिल पाते। इन कारण से ऐसे निर्माण कार्यों से जुड़े व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं जैसे अब राखड़ ईंट का उपयोग कम होने लगा है और राखड ईंट बनाने वाले संचालको के समक्ष महंगाई के इस दौर में व्यवसाय बंद करने की नौबत आ गई है। शासन द्वारा जिले के उद्योग धंधों से निकलने वाले राखड़ के निष्पादन की बात कहीं जाती है और निर्देश भी है कि शासकीय निर्माण कार्यों में प्राथमिकता के साथ राखड़ ईंट का उपयोग किया जाए लेकिन शासन के नुमाइंदे ही इन निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हैं। कमीशन खोरी के चक्कर में सीसी रोड और आर सी सी नाली के कार्यों को तवज्जो देते हुए अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि पंचायतों में इन कार्यों की आवश्यकता नहीं है लेकिन सभी प्रकार के कार्यों को शामिल कर संतुलन बनाते हुए कार्य स्वीकृत करने से ही गांव की सभी प्राथमिक मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति हो पाएगी और शासन के निर्देशों का भी पूर्ण पालन होगा।