कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़)हिमांशु डिक्सेना:- कलेक्टर रानू साहू ने एक बार फिर संवेदनशीलता जाहिर करते हुए न्यूरो संबंधी बीमारी से जूझ रहे बच्चे के इलाज के लिए तात्कालिक सहायता प्रदान की है। कलेक्टर ने विकासखंड पोंडी उपरोड़ा के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोनकोना के आश्रित ग्राम धौरामुडा निवासी नौ वर्षीय बालक बादल के इलाज के लिए डीएमएफ मद से एक लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। साथ ही बच्चे के बेहतर इलाज के लिए जिला प्रशासन द्वारा आगे भी सहयोग प्रदान किया जाएगा। राशि स्वीकृत हो जाने से खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे परिवार को बच्चे के इलाज में सहायता मिलेगी। बच्चे के परिजनों को बादल के बेहतर इलाज के लिए एम्स रायपुर या अन्य बड़े अस्पतालों के न्यूरो विभाग में इलाज कराने की परामर्श दी गई है।
आदिवासी बाहुल्य पोड़ी उपरोड़ा के अंतर्गत आने वाले कोनकोना पंचायत का एक 9 वर्षीय बालक अजीब बीमारी से घिरा हुआ है। एक वर्ष के दौरान उसकी चिकित्सा पर लगभग 4 लाख रुपए खर्च हो गए। गहनों को गिरवी रखना पड़ गया फिर भी नतीजे ठीक नहीं आ सके। अब रायपुर के डॉक्टर ने परिजनों को सलाह दी है कि प्रयागराज ले जाकर इलाज करवाया जाए। परिवार ने प्रदेश सरकार से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग की थी।
इस खबर को प्रमुखता से प्रसारित किया गया था। इस मामले पर कोरबा जिला प्रशासन ने सहयोग के लिए हांथ बढाते हुए खनिज न्यास मद से एक लाख रुपये के स्वीकृति देते हुए बच्चे के आगे के ईलाज के परिजनों को सहयोग प्रदान किया है। बतादे की ग्राम पंचायत कोंनकोना के रहने वाले जय कुमार के 9 वर्षीय बेटा किसी अज्ञात बीमारी से पीड़ित है जिससे उसके इलाज में लाखों खर्च करने के बाद अब उनकी आर्थिक स्थिति नही होने से बच्चे के इलाज में परिजन सक्षम नहीं थे। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद राज्य गौ सेवा आयोग के सदस्य प्रशांत मिश्रा ने गंभीरता से लेते हुए इस विषय पर जिला कलेक्टर रानू साहू को अवगत कराया था। जिस पर आज जिला प्रशासन ने बच्चे के इलाज के लिए सहयोग प्रदान किया है।
बतादें की पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोनकोना में रहने वाले जय कुमार के पास सीमित खेतीहर जमीन है जिसमें दो सीजन में खेती करने के साथ वह परिवार का भरण पोषण करता है। बताया गया कि 9 वर्षीय पुत्र को तीन वर्ष पहले नजदीक के एक निजी स्कूल में भर्ती कराया गया था। पढ़ाई में बेहतर होने के कारण अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल का चयन किया गया। मुश्किल से 6 महीने ही बालक स्कूल जा सका और उसके बाद अज्ञात कारणों से उसे चक्कर आने शुरू हो गए। रखी हुई चीजों को भूलने का सिलसिला शुरू हो गया। इसके बाद बेहोशी की शिकायत भी पेश आई। परिजनों ने इस पर ध्यान दिया और एक महीने तक कोरबा के दो बड़े निजी अस्पताल में चिकित्सा कराई। इसी में अच्छा खासा बिल तैयार हो गया। सुधार नहीं होने पर यहां से बच्चे को रायपुर ले जाने की सलाह दी गई। मेडिकल कॉलेज हास्पिटल में उपचार कराए जाने पर डॉक्टर ने सब कुछ नार्मल बताया लेकिन रीड़ की हड्डी से जुड़ी समस्या को लेकर अगले उपचार की सलाह दी। इसमें लाखों का खर्च होने की बात कही गई जिस पर परिवार कुछ नहीं कर सका। परिजनों ने जिला प्रशासन तथा गौ सेवा आयोग सदस्य प्रशांत मिश्रा को आभार व्यक्त किया है।
जय कुमार ने बताया कि इस समय तक उपचार के लिए घर की जमा पूंजी खर्च करनी पड़ी और पत्नी के गहने भी गिरवी रखने पड़े। वह चाहता है कि सरकारी मदद से बच्चे का उपचार हो और वह ठीक हो। ग्रामीण ने विश्वास जताया कि कई मामलों में सरकार लाखों-करोड़ों की सहायता अभावग्रस्त लोगों को उपलब्ध करा रही है। इसलिए कोरबा जिले से जुड़े इस मामले में भी सरकार संवेदनशील रूख दिखाते हुए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी।