न्यायालय खुद चल पड़ा पक्षकारों के द्वार, हजारों प्रकरणों का हुआ निराकरण

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़) : छत्तीसगढ़ के इतिहास में शायद यह पहली मर्तबा होगा, जब कोर्ट खुद चलकर पक्षकारों के द्वार पहुंचा है. कई साल से कोर्ट में चल रहे लंबित प्रकरणों का निराकरण किया गया. इसमें कई ऐसे प्रकरण भी थे जिन्हें कोर्ट ने हमेशा के लिए खत्म कर दिया. बहुत से मामलों पर आपसी रजामंदी कर सुलह करवाया गया. शनिवार को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत (National Lok Adalat) का आयोजन किया गया था. फैमिली कोर्ट, स्थायी लोक अदालत, श्रम न्यायालय, मोटर दुर्घटना के प्रकरण, वैवाहिक मामले समेत अन्य मामलों के 10 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया.

पैरा वॉलिंटियर्स पहुंचे पक्षकार के घर

चेक बाउंस के एक मामले में पक्षकार राजवंत सिंह दुर्घटना के शिकार हो गए थे और उनकी पसलियां टूट गई थी. वर्तमान में वह चलने फिरने में असमर्थ हैं. राजवंत भी अपने मामले में राजीनामा कर मामले को खत्म करना चाहते थे, लेकिन अपने स्वास्थ्य कारणों से वे न्यायालय आने में असमर्थ थे. राजवंत सिंह विरोधी पक्षकार से लिए गए उधार के एवज में चेक न्यायालय के सामने देना चाहते थे. जब यह बात प्राधिकरण को पता चली तो प्राधिकरण ने पैरा वॉलिंटियर्स को वाहन सहित उनके घर भेजा और उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें न्यायालय लेकर आए. डॉक्टर सुमित सोनी के न्यायालय में उन्होंने चेक प्रदान किया और राजीनामा के माध्यम से यह मामला खत्म किया. राजवंत ने बताया कि उन्हें चलने में काफी दिक्कतें होती है, ऐसे में प्राधिकरण ने पैरा वॉलिंटियर्स के माध्यम से मामले का निराकरण होने के बाद उन्हें घर भी छोड़ा.


2 साल से पत्नी से थी दूरी, लोक अदालत में हो गए एक

बिरौदा गांव से राजधानी पहुंचे रेखराम साहू ने बताया कि उनकी पत्नी के साथ दो साल पहले पारिवारिक कारणों की वजह से अलग हो गए थे. पत्नी चाहती थी कि वह उनके साथ मायके में रहे. पत्नी की बात मानकर वह अपने ससुराल में रहने लगा था, लेकिन किसी बात को लेकर विवाद हो गया और दोनों अलग रहने लगे. 2 साल तक मामले की सुनवाई चलती रही. अब लोक अदालत में आपसी रजामंदी के बाद दोनों एक हो गए हैं. उन्होंने बताया कि आपसी तनाव की वजह से 4 साल के बच्चे पर प्रभाव पड़ रहा था. लेकिन, कोर्ट के इस फैसले के बाद अब पति-पत्नी साथ रहेंगे.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराया राजीनामा

रोड एक्सीडेंट के एक मामले में 78 वर्ष के बुजुर्ग पक्षकार अली असगर अजीज को न्यायालय आने में परेशानी थी. उनके घुटनों का ऑपरेशन हुआ था, जिसकी वजह से वे चलने फिरने में असमर्थ थे. बुजुर्ग होने के कारण वह मोबाइल का उपयोग भी नहीं कर पाते थे. उनकी परेशानी को देखते हुए प्राधिकरण ने दो पैरा वॉलिंटियर्स भेजा और उन पैरा लीगल वॉलिंटियर ने रायपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भूपेंद्र कुमार वासनिक की खंडपीठ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से निशक्त असगर को उपस्थित कराया. न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही अजीज अजगर को समझाइश दी और राजीनामा के संबंध में चर्चा की गई. राजीनामा के उपरांत मामला समाप्त किया गया.

लॉकडाउन उल्लंघन के मामले भी हुए वापस

जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव उमेश कुमार उपध्याय ने बताया कि नेशनल लोक अदालत में पारिवारिक ममले, चेक बाउंस, लोन, पैसों की लेनदेन समेत विभिन्न मामले सामने आए हैं. जिनका निराकरण नेशनल लोक अदालत एक माध्यम से किया गया. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जिन्होंने लॉकडाउन का उल्लंघन किया था, उनके भी मामले वापस लिए गए हैं. इसके साथ ही पहली बार मोबाइल वैन के माध्यम से भी बहुत से केस का निराकरण किया गया.