जगदलपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): बस्तर में पुरी के तर्ज पर मनाए जाने वाले गोंचा पर्व की तैयारी जोर शोर से चल रही है. पर्व की शुरुआत चंदन जात्रा की रस्म से होने के बाद रविवार को भगवान जगन्नाथ का नेत्रोत्सव मनाया गया.शहर के जगन्नाथ मंदिर में बस्तर के आरण्यक ब्राह्मण समाज की तरफ से नेत्रोत्सव धूमधाम से मनाया गया.
हालांकि कोरोनाकाल की वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल काफी कम लोग ही इस रस्म में शामिल हुए और भगवान जगन्नाथ को पुराने आभूषण पहनाए गए. इस रस्म के बाद सोमवार को गोंचा पर्व की रथयात्रा की रस्म पूरी की जाएगी.
गोंचा पर्व की तैयारियां पूरी
गोंचा पर्व समिति की सदस्य दीप्ति पांडे ने नेत्रोत्सव के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि, प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ देव चंदनजात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं और भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. इसी दौरान भगवान का जड़ी बूटी आदि से उपचार चलता है. 15 दिनों के बाद स्वस्थ होने पर भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देते हैं.
विशेष पूजा अर्चना का होता है आयोजन
भक्तों द्वारा श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. जिसे नेत्रोत्सव कहा जाता है. इसके अगले दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ में सवार होकर नगरभ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपुरी पहुंचते हैं.
निकाली जाएगी विशाल रथ यात्रा
बस्तर में 615 सालों से चली आ रही है यह परंपरा आज भी अनवरत जारी है. पुरी जगन्नाथ के बाद बस्तर में ही गोंचा पर्व में विशालकाय रथ यात्रा निकाली जाती है. वहीं कोरोना काल को देखते हुए केवल जगन्नाथपुरी और बस्तर में रथ यात्रा निकालने की अनुमति दी गई है. हालांकि इस वर्ष के रथ यात्रा में केवल एक ही रथ चलाया जाएगा.
शासन की तरफ से अनुमति मिलने के बाद सिरहासार भवन को सजाया जा रहा है. नेत्रोत्सव की रस्म के बाद सोमवार को रथ यात्रा निकाली जाएगी. इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है.