कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना:- किसी फैक्ट्री में बना औद्योगिक उत्पाद हो या किसानों की खरी मेहनत से खेतों में उपजा अनाज… यदि बाजार ना हो तो, यदि बेचने की सुविधाएं ना हो तो निश्चित ही उत्पादक हतोत्साहित होता है। बाजार की अनुपब्धता से अच्छे से अच्छा औद्योगिक उत्पादन भी धीरे-धीरे घटते जाता है और कभी-कभी तो घाटे के कारण फैक्ट्री के बंद होने की भी नौबत आ जाती है। खेतों में उपजाए अनाज की भी यही कहानी है। किसानों को यदि उनकी मेहनत का सही दाम ना मिले, उनकी उपज को बेचने सुविधाएं न हों तो फसल उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन सब थ्योरी-सिंद्धांतों के बीच छत्तीसगढ़ राज्य प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसान हितैषी राज्य के रूप में तेजी से देश में एक नई पहचान बना रहा है।
छत्तीसगढ़ में अभी कल से ही धान खरीदी का महापर्व शुरू हुआ है। कोरबा जिले में भी किसानों से धान की खरीदी की शुरूआत बड़े उत्साह के साथ हुई है। इस बार तो पिछले वर्षों की तुलना में सबसे अधिक संख्या में किसानों ने धान खरीदी के लिए पंजीयन कराया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों का अल्पकालीन ऋण माफ कर खेती के लिए जिस सकारात्मक वातावरण की शुरूआत की थी, वह राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना से होता हुआ धान खरीदी के लिए बेहतर सुविधाओं से और भी विस्तारित होता जा रहा है। किसानों को अपनी उपज को स्थानीय स्तर पर ही समर्थन मूल्य पर बेचने की सुविधा मिलने से खेती के प्रति लोगों का जुड़ाव बढ़ते जा रहा है। कोरबा जिले में वर्ष 2018 में 27 सहकारी समितियों के तहत 41 उपार्जन केन्द्रों से धान की खरीदी होती थी। इस दौरान लगभग साढ़े 22 हजार किसान धान बेचने के लिए पंजीयन कराते थे। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018-19 में कोरबा जिले में 09 लाख 77 हजार 874 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पूरे जिले में धान खरीदी की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की। वर्ष 2019-20 में उपार्जन केन्द्रों की संख्या 42 कर दी गई। 2500 रूपए प्रति क्विंटल का दाम किसानों को देने से इस वर्ष 23 हजार 832 किसानों से 09 लाख 88 हजार 070 क्विंटल धान खरीदा गया। इस वर्ष किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत धान की खेती के लिए 10 हजार रूपए प्रति एकड़ कृषि आदान सहायता की योजना शुरू की गई। जिले के 23 हजार 832 किसानों को 65 करोड़ 87 लाख रूपए से अधिक की सहायता सीधे उनके खाते में जमा कराई गई। खेती के लिए मिली सहुलियतों से कोरबा जिले के किसानों ने भी राज्य सरकार पर अपना विश्वास जताया। इस साल दूरस्थ वनांचलों में रहने वाले लगभग 10 हजार वनवासियों को लंबे समय से कब्जे की वनभूमि के लिए वनअधिकार पट्टे देकर भूमि का मालिकाना हक दिया गया। वनवासियों को खेती के लिए भूमि समतलीकरण से लेकर खाद, बीज, दवा और सिंचाई सुविधाओं के साथ खेतों की फेंसिंग आदि के लिए भी सरकारी सहायता दी गई। पिछले साल राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत चार किश्तों में किसानों को 81 करोड़ 16 लाख रूपए का भुगतान किया गया साथ ही धान फसल के लिए नौ हजार रूपए प्रति एकड़ कृषि आदान सहायता भी मिली। परिणााम यह हुआ कि इस साल जिले में धान का उत्पादन तेजी से बढ़ा। धान खरीदने के लिए नए खरीदी केन्द्र बनाए गए ताकि किसान अपने गांव-खेतों के नजदीक ही फसल समर्थन मूल्य पर बेच सकें। पहले उपार्जन केन्द्रों को 42 से बढ़ाकर 49 और इस वर्ष 55 कर दिया गया है। राज्य सरकार ने वर्ष 2020-21 में सात और 2021-22 में छह नए उपार्जन केन्द्र कोरबा जिले में शुरू किए हैं। इस वर्ष कटघोरा के रंजना, पोड़ी-उपरोड़ा के तुमान और लैंगा, कोरबा के नकटीखार और करतला के बहरचुंआ में छह नए धान खरीदी केन्द्र शुरू किए गए हैं। खरीदे गए धान के संग्रहण के लिए उपार्जन केन्द्रों में नए चबुतरे बनाए गए। चबुतरों की संख्या अब 190 से बढ़कर 347 हो गई है। उपार्जन केंद्रो पर किसानों के लिए पीने के पानी से लेकर शौचालय, धान तौलाई से लेकर नमी की जांच आदि सभी सुविधाएं दी जा रहीं हैं। इस वर्ष कोरबा जिले में 40 हजार 472 किसानों ने धान बेचने के लिए सहकारी समितियों में पंजीयन कराया है। सरकार ने भी पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष लगभग एक लाख 54 हजार क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। इस बार आठ हजार 164 नए किसानों ने धान खरीदी के लिए जिले में पंजीयन कराया है। अवैध धान की बिक्री और आवक रोकने के साथ कोचियों से किसानों को मुक्त कराने के लिए भी जरूरी इंतजाम किए गए हैं। उपार्जन केन्द्रों पर वरिष्ठ नागरिकों और जनप्रतिनिधियों को शामिल करते हुए निगरानी समितियां बनाई गई हैं। जिले में 15 चेकपोस्ट भी स्थापित किए गए हैं। दण्डाधिकारियों के नेतृत्व में उड़नदस्ते भी बनाए गए हैं। अभी जिले में धान खरीदी के लिए दो हजार 603 गठानों में 13 लाख एक हजार 226 नग बारदाना उपलब्ध है। इसके साथ ही सरकार ने किसानों के बारदाने में धान खरीदी को पहले दिनसे ही मंजूरी दे रखी है। किसानों को उनके पुराने बारदानों के लिए 25 रूपए का प्रति नग के हिसाब से भुगतान भी की भी व्यवस्था की गई है। किसानों के द्वारा बेचे गए धान की राशि का भुगतान भी सुव्यवस्थित ढंग से किया जा रहा है। धान बेचने के दिन से चार दिन के भीतर किसानों के खाते में इस राशि का सीधे भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है। खेती किसानी के लिए अनुकुल माहौल, शासकीय योजनाओं से भरपूर सहायता और धान खरीदी के लिए जरूरी व्यवस्थाएं समय पर हो जाने से जिले के किसानों में धान खरीदी के इस महापर्व को लेकर अलग ही उत्साह दिखाई दे रहा है।