रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : नवरात्रि के दौरान लोगों को विजयादशमी का उत्सुकता से इंतजार रहता है. इस बार विजयादशमी का त्योहार रविवार 25 अक्टूबर यानि आज मनाया जा रहा है. हिंदू शास्त्रों और मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका नरेश रावण का वध किया था. इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में रावण के पुतले का दहन किया जाता है. इस दिन शारदीय नवरात्रि का समापन भी हो जाता है. विजयादशमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. जिसके बाद शाम को रावण के पुतले का दहन किया जाता है.
पंचांग और पंडितों के मुताबिक आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हर वर्ष दशहरा या विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है. इस वर्ष आश्विन शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट पर हो रहा है, जो 26 अक्टूबर की सुबह 9 बजे तक है. पंचांग में बताए गए मुहूर्त के मुताबिक विजयादशमी का त्योहार मनाया जा रहा.
एक नजर रावण दहन के मुहूर्त पर
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक.
- विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 05 मिनट से दोपहर 2 बजकर 52 मिनट तक.
- अमृत काल मुहूर्त- शाम 6 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 27 मिनट तक.
विजयादशमी का महत्व
भगवान श्रीराम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर चढ़ाई की थी. रावण की राक्षसी सेना और श्रीराम की वानर सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण जैसे सभी राक्षस मारे गए. रावण पर भगवान राम के विजय की खुशी में हर साल दशहरा मनाया जाता है. वहीं, मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचार से मुक्ति दी थी. इसलिए बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाता है. श्री राम का लंका विजय और मां दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी अवतार दशमी को हुआ था, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहा जाता है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से विजयादशमी को लेकर सरकार ने गाइडलाइन जारी की है. इन गाइडलाइन का पालन करते हुए विजयादशमी मनाया जाएगा.
मूर्ति विसर्जन के लिए गाइडलाइन-
- मूर्ति विसर्जन के समय या विसर्जन के बाद किसी भी प्रकार के भोज, भंडारे, जगराते या सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं होगी.
- विसर्जन के दौरान किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र डीजे या बैंड बजाने की अनुमति नहीं होगी.
- मूर्ति विसर्जन के लिए एक से ज्यादा वाहन की अनुमति नहीं होगी.
- मूर्ति विसर्जन के लिए 4 से ज्यादा व्यक्ति नहीं जा सकेंगे और मूर्ति रखे जाने वाली गाड़ी में ही बैठेंगे.
- सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले मूर्ति विसर्जन की किसी भी प्रक्रिया की अनुमति नहीं होगी.
दशहरा और विजयादशमी के लिए गाइडलाइन-
- रावण दहन के लिए पुतले की ऊंचाई 10 फीट से ज्यादा ना हो.
- पुतला दहन किसी बस्ती या रहवासी इलाके में नहीं किया जाना है, खुली जगह में ही पुतला दहन करना है.
- पुतला दहन कार्यक्रम में समिति के मुख्य पदाधिकारी सहित किसी भी हाल में 50 व्यक्तियों से ज्यादा व्यक्ति शामिल ना हो.
- आयोजन के दौरान सिर्फ पूजा करने वाले व्यक्ति शामिल होंगे. अनावश्यक भीड़ एकत्रित ना होने देने की जिम्मेदारी आयोजकों की होगी.
- कार्यक्रम का यथासंभव ऑनलाइन माध्यमों की मदद से प्रसारण किया जाना सुनिश्चित करें.
- पुतला दहन के दौरान आयोजन की वीडियोग्राफी कराई जाए.
- आयोजक एक रजिस्टर रखेंगे, जिनमें रावण दहन कार्यक्रम में आने वाले सभी व्यक्तियों का नाम, पता, मोबाइल नंबर दर्ज किया जाएगा.
- रावण दहन स्थल से 100 मीटर के दायरे में आवश्यकतानुसार बैरिकेडिंग कराया जाना है.
- एक आयोजन स्थल से दूसरे आयोजन स्थल की दूरी 500 मीटर से कम नहीं होगी.
- इन नियमों के अलावा नवरात्र के लिए बनाई गई गाइडलाइन विजयादशमी पर भी लागू होगी.