गौरेला पेड्रा मरवाही(सेंट्रल छत्तीसगढ़)प्रयास कैवर्त:-जिला गौरेला पेड्रा मरवाही के वरिष्ठ पत्रकार असद सिद्दीकी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना से पूरा देश -प्रदेश जूझ रहा है, जिला में बढ़ते हैं आंकड़ा चिंता का सबब बना हुआ है, उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना पर विचार साझा करते हुए कहा कि
कोवैक्सीन हो या कोविशील्ड ! रेमडेसिविर हो या स्पूतनिक-वी या फिर आने वाली पिराफिन
इन्हें कंपनियां किस दर पर सरकारों को मुहैया करा रही हैं या कराएंगी ?
ऑक्सीजन की आपूर्ति कैसे और कहां से होगी ,सरकारी हो या प्राइवेट बेड की उपलब्धता सुनिश्चित कैसे होगी ?
इन सवालों का आम जनता से कोई सरोकार नहीं है। उसे तो इस वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव की इन वैक्सीनों और ऑक्सीजन का लाभ “नि:शुल्क” और समय पर चाहिए। जिसकी जिम्मेदारी उन सत्ताधीशों की है, जिनके हाथों में राज्य एवं केंद्र की बागडोर है। क्योंकि देश की जनता ने “पीएम केयर्स फंड” हो या “मुख्यमंत्री सहायता कोष”, इसी आपदा से निपटने के लिए ही तो बढ़-चढ़कर दान दिया था न कि इसके हिसाब-किताब को “आरटीआई” के दायरे से बाहर रखने के लिए !
इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें वैक्सीन के अलग-अलग दामों पर विलाप करना बंद करें तथा कोरोना से बचाव की आवश्यक तैयारियों एवं संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कर पाने की अपनी नाकामियों को आरोप-प्रत्यारोप से छुपाने की बजाए स्वीकार करें ! क्योंकि इस वैश्विक महामारी से पूरे देश में त्राहिमाम मचा हुआ है तथा चारों तरफ जल रही चिताओं एवं कब्रों में अपनों के खोने का दर्द झेल रहे लोगों की सिर्फ चीख-पुकार सुनाई दे रही है। जो पूरे देश को झकझोरते हुए वक्त के हुक्मरानों से बस एक ही सवाल कर रही है कि काश सत्ता का उपयोग जात-पात, ऊंच-नीच, धर्म-संप्रदाय, हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद वाली नफरत की राजनीति में करने की बजाए देश की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए किया होता ? ऐसे में सिस्टम को दोष देना या कोसना ठीक नहीं ! क्योंकि सिस्टम तो सरकारों के अधीन होता है, इसे वे जैसा चलाएंगी ये वैसा चलता है ! वरना इस वैश्विक महामारी में उन्हें भी अपनों को खोने का दर्द नहीं झेलना पड़ता ? इसलिए यह बेहद जरूरी हो गया है कि इस वैश्विक महामारी की चुनौती से निपटने के लिए हम सब एकजुट होकर एक दूसरे की खुलकर मदद करें। तभी हम जीतेंगे – देश जीतेगा.