जंगल में अतिक्रमण कर की तिल की खेती, करवाई करने गई वन विभाग की टीम को ग्रामीणों ने घेरा

सूरजपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) शांतनु सिंह : बलरामपुर और सूरजपुर जिले की सीमा पर स्थित घुई वन परिक्षेत्र में झोर जंगल है. इस क्षेत्र में वन भूमि का अतिक्रमण कर तिल की खेती कर रहे हैं. गांव के लोगों की शिकायत के बाद भी वन विभाग के अधिकारी इस मसले में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं. ग्रामीणों ने जंगल बचाने के लिए मुहीम शुरू कर दी है.

Sesame farming by encroaching in the forest of surajpur

भूमि में अतिक्रमण

जंगल के एक सिरे पर बलरामपुर का झोर है, जबकि दूसरे सिरे पर सूरजपुर जिले का ग्राम पंचायत रामपुर. सीमावर्ती जंगल होने की वजह से दोनों ही जिले के वन अमले ने पेड़ों को बचाने कोशिश नहीं कि, लिहाजा यह जंगल तस्करों के लिए सुरक्षित बन गया. जंगल से दोनों जिलों के वनकर्मियों के दूरी बनाने की वजह से अब ग्रामीणों में वन भूमि पर कब्जा करने की होड़ मची हुई है.

निरीक्षण के लिए भी नहीं पहुंचे वनकर्मी

पिछले चार महीने से ग्रामीण वन भूमि को समतल कर तिल की खेती भी कर रहे हैं. चार महीने पहले ग्राम पंचायत झोर के ग्रामीणों ने 50 एकड़ से अधिक वन भूमि पर कब्जा के बाद जमीन को समतल कर खेत बना दिया. अतिक्रमण बढ़ते देख ग्राम पंचायत रामपुर के ग्रामीणों ने वन अधिकारियों से कई बार शिकायत की. शिकायतों पर कार्रवाई करना तो दूर स्थल निरीक्षण तक करने नहीं पहुंचे.

ग्रामीणोंं ने वनकर्मी को घेरा

वन भूमि बचाने की मुहिम असफल होते देख रामपुर के ग्रामीणों ने भी अतिक्रमण करना शुरू कर दिया. ग्रामीण वन भूमि में लगे पेड़-पौधों को कटने लगे, तब जाकर वनकर्मी नींद से जागे. शुक्रवार को जब वन विभाग की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए मौके पर पहुंची, तो ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और विभाग के किसी जिम्मेदार अधिकारियों के आने पर ही अतिक्रमण रोकने की चेतावनी दी. आक्रोशित ग्रामीणों ने वनकर्मियों को जम कर खरीखोटी सुनाई. ग्रामीणों का आक्रोश देख वनकर्मी वहां से भाग निकले .सूचना पर शनिवार को रेंजर संस्कृति बारले पहुंची और ग्रामीणों को अतिक्रमण हटाने के साथ ही खाली भूमि में तत्काल पौधरोपण कराने का आश्वासन दिया तो ग्रामीण शांत हुए.

शिकायतों के बाद भी स्थल निरीक्षण करने नहीं आते वनकर्मी

ग्रामीणों ने बताया कि वनों की सुरक्षा को लेकर वन अमला गंभीर नहीं है. अतिक्रमण के संबंध में बार-बार शिकायत करने के बावजूद जंगल का हाल देखने कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है.

शांतनु सिंह की रिपोर्ट..!