छत्तीसगढ़ के 13 जिलो में औसत के कम बारिश , बर्बादी की ओर धान की फसल.

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): देश के कई राज्यों में इस वक्त बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. लोग बारिश का पानी घरों में घुसने से परेशान हैं. आवाजाही में लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लिहाजा जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है. इस स्थिति के विपरीत छत्तीसगढ़ देश का एक ऐसा राज्य है, जहां इस बार औसत से कम बारिश हुई है. यहां 13 जिलों में बारिश कम होने से इसका सीधा असर धान की फसल पर पड़ रहा है.

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां अधिकांश किसान धान की खेती ही ज्यादा करते हैं और धान की खेती में पानी की ज्यादा आवश्यकता रहती है. बारिश के मौसम में ही ज्यादातर धान की खेती की जाती है. ताकि धान के खेत में पानी भरपूर मात्रा में रहे, लेकिन छत्तीसगढ़ में कम वर्षा होने की वजह से किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है.

छत्तीसगढ़ में बारिश को लेकर मौसम विभाग ने आंकड़े जारी किए हैं. आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश के 13 जिले ऐसे हैं, जहां अगस्त महीने में अब तक औसत से कम बारिश हुई है. 13 जिले ऐसे भी हैं जहां औसत बारिश बारिश हुई है. ऐसे में जो किसान धान की खेती करते हैं उनको काफी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. यहां की नदियों और डैम में भी पानी कम होने की वजह से नदियों में पानी नहीं छोड़ा जा सकता है. किसान नदियों से पंप के माध्यम से खेत की सिंचाई करते हैं, लेकिन नदियों में भी पानी कम होने की वजह से खेत की सिंचाई नहीं हो पा रही है.

छत्तीसगढ़ के किसान अरविंद कुमार साहू बताते है कि उनके यहां धान की खेती ज्यादा होती है. इस साल बारिश कम होने की वजह से उन्हें पानी पटाने में काफी समस्या हो रही है. वहीं खेतों में भी पानी काफी कम है. गांव के पास से नदी बहने की वजह से खेतों की सिंचाई हो पाती है. अगर नदी नहीं बहती तो सारा धान खराब हो जाता, लेकिन जिन गांव के दूर-दूर तक नदी नहीं है उनको काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगस्त महीने में ही बारिश की उम्मीद रहती है. अगस्त महीने के बाद बारिश कम होती है. अभी अगस्त खत्म होने में कुछ दिन बाकी हैं अगर इस दौरान भी बारिश नहीं हुई तो उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी.

किसान ईश्वर प्रसाद साहू ने बताया कि इस साल प्रदेश में बहुत कम बारिश हुई है. जिस कारण धान की फसल बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं गांव में बिजली न रहने की वजह से भी पंप नहीं चल पा रहे हैं. उनके वहां आधे दिन बिजली काटी रहती है. जिससे पंप से पानी खेत तक नहीं पहुंच पाता.

मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि प्रदेश में मुख्य रूप से देखा जाए तो कांकेर, दंतेवाड़ा, बस्तर जिलों में अच्छी बारिश दर्ज की जाती थी. इस साल लगातार वहां पर डेफिइंट कंडीशन है, यानी बारिश कम हुई है. इन जिलों में 20 जुलाई से 17 अगस्त तक डेफिइंट कंडीशन बना हुआ था. एक लंबे गैप में बारिश कम होने की वजह से कृषि के लिए वहां पर गंभीर स्थिति है. बाकी जो जिले हैं जिसमें डेफिइंट कंडीशन पर मुख्य रूप से रायपुर दुर्ग संभाग के पूर्वी छोर जहां बारिश कम हुई है, वहां भी कृषि कार्य बारिश न होने के एक लंबे गैप के कारण प्रभावित हुए हैं. मुख्य रूप से देखा जाए तो इस साल अच्छी बारिश सरगुजा डिवीजन और उसके आसपास के क्षेत्र में हुई है. बाकी जो जिले हैं वहां पर स्थिति अभी गंभीर है या अति गंभीर है.