कांकेर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा:- वर्मा केत नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों के सामने कोरोना महामारी भी चुनौती बनकर खड़ी हो गई है. जिले में एक हफ्ते के अंदर सुरक्षाबलों के 20 से ज्यादा जवान कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. जिले के धुर नक्सल प्रभावित अन्तागढ़ और बांदे के कैंप के बीएसएफ और एसएसबी के जवान कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं.
जिन जवानों को संक्रमण हुआ है, वे सभी छुट्टी से वापस लौटे थे और क्वॉरेंटाइन में थे. छुट्टी के अलावा जवानों तक वायरस पहुंचने की संभावना नजर नहीं आ रही.
कोविड-19 अस्पताल कांकेर
करीब 8 हजार जवान नक्सल मोर्चे पर तैनात
कांकेर जिले में बीएसएफ और एसएसबी के 8 बटालियन के करीब 8 हजार जवान नक्सल मोर्चे पर तैनात हैं. ऐसे में यह बात साफ है कि इतनी बड़ी संख्या में जब जवान यहां मौजूद हैं तो छुट्टी पर आना-जाना लगा रहता है. देश के सभी राज्यों में कोरोना संक्रमण फैल चुका है. जवान कोरोना से संक्रमित हैं, इसका पता तब चल रहा है, जब कोरोना टेस्ट कराया जा रहा है.
अब तक बांदे बीएसएफ कैम्प से 12 , अंतागढ़ बीएसएफ से 6 और एसएसबी से 2 जवान कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. ये सभी जवान छुट्टी से लौटे हैं. नक्सल मोर्चे पर जवान पहले से ही काफी खतरनाक जिंदगी जी रहे हैं, ऐसे में कोरोना संक्रमण भी चुनौती बनकर आ गया है. जवानों को अब नक्सलियों के साथ-साथ कोरोना से दो- दो हाथ करना होगा.
एक हफ्ते में 22 जवान कोरोना पॉजिटिव
- सबसे पहले 23 जून की शाम बांदे कैम्प में पदस्थ एक बीएसएफ जवान की रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
- 23 जून की रात ही इसी कैंप से 9 और जवान की रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
- अंतागढ़ बीएसएफ कैम्प से ही 5 जवान इसी दिन पॉजिटिव पाए गए.
- 29 जून को एसएसबी के दो जवानों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
- 30 जून की शाम को अन्तागढ़ से बीएसएफ का एक जवान कोरोना पॉजिटिव पाया गया.
- एक जुलाई की सुबह फिर बीएसएफ बांदे कैम्प से दो जवान पाजिटिव पाए गए.
- एक जुलाई की शाम होते होते तक अन्तागढ़ कैम्प से दो और जवान कोरोना संक्रमित मिले.
नक्सल मोर्चे पर नहीं पड़ेगा असर: एएसपी
एएसपी कीर्तन राठौर ने इस मामले में कहा कि जवानों का कोरोना की चपेट में आना चिंताजनक है. अभी तक 20 से 22 जवान कोरोना की चपेट में आए हैं. जिले में बीएसएफ और एसएसबी के कुल 8 बटालियन के 8 हजार जवान तैनात हैं. ऐसे में कुछ जवानों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से नक्सल विरोधी अभियान पर इसका असर नहीं पड़ेगा.
जवानों की छुट्टी उन पर पड़ रही भारी
जवानों का छुट्टी पर जाना उनके लिए खतरनाक साबित हुआ है. कोरोना के कहर के बीच छुट्टी पर जाकर लौट रहे अधिकांश जवान कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या जवानों को इस कहर के बीच छुट्टी पर भेजने से रोका जाना चाहिए , लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि अगर जवानों को छुट्टी में जाने से रोका गया तो महीनों अपने परिवार से दूर रहकर जान दांव पर लगा डयूटी कर रहे इन जवानों को मानसिक तनाव से कैसे उबारा जा सकेगा.