रायपुर (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ):- मैं छत्तीसगढ़ी भाखा आंव छत्तीसगढ़ राज के 2 करोड़ ले जादा लोगन के जीभ म बसे मिठास मोरे ले हे. मैं अवधी अउ मगही के बहनी आंव. भाषा बैज्ञानिक मन मोला कई वर्ग म बांटे हैं. मोर ऊपर छत्तीसगढ़ म बोले जाए वाले पुरातन बोली गोंडी , हलबी के असर तो पड़ बे करे हे. साथे साथ आसपास के राज खास तौर म मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश अउ बिहार उड़िसा अउ महाराष्ट्र के विदर्भ इलाका के बोली भाखा मन के घलो असर पड़े हे.
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस-
आजे के दिन यानि 28 नवंबर 2007 के विधानसभा म छत्तीसगढ़ी राजभाषा विधेयक ल मंजूरी मिले रहिस. तब ले आज के दिन ल हर साल छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप म मनाए जाथे. ये आयोग ल गढ़े के पाछू मुख उद्देस –
- राज भाषा ल संविधान के आठवीं अनुसूची म दर्जा देवाना.
- सरकारी काम काज म छत्तीसगढ़ी ल बढ़ावा देना.
- स्कूली पाठ्यक्रम म सामिल कराए बर कोसिस करना.
अपन गठन के 13 साल बाद ये आयोग ह बहुत प्रयास करे हे आज मैं स्कूल अउ कॉलेज के पाठ्यक्रम आ गए हौं लेकिन बड़े उद्देस मन अभी पूरा नई होए हे. आज विधानसभा म घलो हमर नेता मंत्री मन छत्तीसगढ़ी म गोठिया थें. रेलवे स्टेसन, हवाई अड्डा म घलो अब छत्तीसगढ़ी म जानकारी दे जा थे. हर साल छत्तीसगढ़ी म कई फिलिम रिलिज होवत हे. मोर लकगीत नाचा गम्मत पंडवानी कलाकार मन के धाक पूरा दुनिया म स्थापित हो गे हे. ये बात के मोला अब्बड़ संतोष हे. रमायण, शिवपुराण, 9 उपनिषद, अभिज्ञान शाकुंतलम जैसे कालजयी ग्रंथ अउ साहित्य के छत्तीसगढ़ी म अनुवाद मोर बोलइया मन कर डरे हें. आज के मउका म मैं यीही कहिं हों की सब बोली भाषा के अपन महत्व हे हमर भारत के खूबी हे के हम भले अलग अलग बोली भाषा म बोलन पढ़न लेकिन हम सब एक हन. जम्मो भाषा बोली म मउजूद संस्कृति ल जोड़के हम ला राष्ट्र ला आघु बढ़ाना हे. जय छत्तीसगढ़