चोटिया बालको खदान में भुविस्थापितों को नौकरी से निकाले जाने के मामले पर सांसद प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखा पत्र.. बालको किसानों को उनकी नौकरी दे या जमीन ..

कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़)हिमांशु डिक्सेना :- चोटिया बालको खदान में भुविस्थापितों को नौकरी से निकालने के मामले में सांसद प्रतिनिधि ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर बालको की मनमानी की जानकारी दी है और आग्रह किया है कि भुविस्थापितों को न्याय दिलाने का निवेदन किया है.

कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा तहसील अंतर्गत स्थित चोटिया कोल माइंस का संचालन बालकों द्वारा किया जा रहा है इसके पूर्व में या खदान प्रकाश इंडस्ट्रीज के पास थी. बालकों के खदान संचालन के साथ ही जनहित और बू विस्थापितों की समस्याओं को दरकिनार करना प्रारंभ कर दिया है और पूर्व के बने अस्पताल भवन, स्कूल भवन यहां तक उक्त सड़क मार्ग का भी रखरखाव बंद कर दिया है जिससे यह जर्जर हालत में है.जनप्रतिनिधियों द्वारा बार-बार इस ओर ध्यान आकृष्ट कराए जाने के बाद भी हालात जस के तस हैं इन समस्याओं से जूझ रहे कर्मचारी एवं क्षेत्र के लोगों पर उस वक्त कुठाराघात हुआ जब बालकों ने 7 फरवरी को भू विस्थापित कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने के लिए बी आर एस का फरमान जारी किया और इसके लिए प्रलोभन एवं दबाव भी बनाया गया. खदान बंद करने की मानसिकता को लेकर बालकों में केवल भू विस्थापित कर्मचारियों पर दबाव डालकर वीआरएस फॉर्म भरवाया जाने लगा है. जिन लोगों ने फॉर्म भरने से इनकार कर दिया उनका स्थानांतरण कर दिया गया. 10 फरवरी को बालकों में ऐसे भू विस्थापितों का स्थानांतरण कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर, पुणे , बडोदरा और फरीदाबाद जैसी जगहों पर किया गया साथ ही उन्हें 72 घंटे के अंदर ज्वाइन करने को कहा गया. यह तुगलकी फरमान अंग्रेजों से भी बढ़कर है डरा धमका कर 100 भूविस्थापित कर्मचारी से जबरन फॉर्म भरवाया गया और उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया. इसके एवज में बालकों द्वारा 50 हज़ार प्रति वर्ष के हिसाब से शेष बची नौकरी का भुगतान किया जाना बताया गया जिसकी अधिकतम राशि 7 लांख तय की गई है, ज्यादातर लोगों को कुल 2 से 3 लाख दिया जा रहे हैं.

किसानों की पहले जमीन छीनी गई और अब नौकरी से बेदखल किया जा रहा है सांसद प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस प्रकरण पर जल्द से जल्द संज्ञान लेकर भू विस्थापित को उनकी जमीन वापस दिलवाए या उन्हें नौकरी पर वापस लिया जाए. बालकों के इस तानाशाही निर्णय के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही किए जाने का आग्रह किया है.