ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बचाई 4 साल के बच्ची की जान , महज 20 मिन्ट्स में पहुचे भिलाई से रायपुर.

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ पुलिस देवदूत बनकर लगातार मरीजों की जान बचा रही है. रायपुर और दुर्ग पुलिस ने पिछले तीन दिनों के भीतर दूसरी बार ग्रीन कॉरिडोर बनाकर मरीज को समय रहते अस्पताल पहुंचाया और उसकी जान बचाई.

जानकारी के मुताबिक, भिलाई के सेक्टर-1 के रहने वाले वॉलीबॉल नेशनल प्लेयर रहे सुनील यादव के 4 वर्षीय बेटे अंशू की तबियत सोमवार रात अचानक बिगड़ गई. जिसके बाद परिजन उसे सेक्टर-9 अस्पताल लेकर पहुंचे. मंगलवार को दोपहर 12 बजे तक उसकी हालत और ज्यादा बिगड़ गई. अंशू की मलेरिया रिपोर्ट पॉजिटिव आई. चिकित्सकों ने बताया कि मलेरिया ने उसे 60% तक चपेट में ले लिया है. लिहाजा मंगलवार दोपहर तक बच्चे ने अपने ही परिजनों को पहचानना तक बंद कर दिया. ऐसे में चिकित्सकों ने उसे रेफर करने का तत्काल फैसला लिया.

ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बचाई जान

अंशू को भिलाई से रायपुर एम्स तक पहुंचाने के लिए दुर्ग और रायपुर पुलिस ने मिलकर एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया. इस ग्रीन कॉरिडाेर में पुलिस ने एंबुलेंस को महज 20 मिनट में एम्स रायपुर पहुंचा दिया.

इस तरह बनाया गया ग्रीन कॉरिडोर

दरअसल, वॉलीबॉल कोच सहीराम जाखड़ ने इस मामले की जानकारी भिलाई के सीनियर पार्षद रहे वशिष्ठ नारायण मिश्रा को दी. खबर मिलते ही वह तुरंत सेक्टर-9 पहुंचे. जहां उन्होंने सबसे पहले वेंटिलेटर एंबुलेंस का इंतजाम किया. भिलाई में सिर्फ सनशाइन अस्पताल के पास वेंटिलेटर एंबुलेंस है. जिसे वशिष्ठ ने बुलाया. इस दौरान ट्रैफिक डीएसपी गुरजीत सिंह से भी मामले पर बात हुई और पुलिस ने बच्चे की जान बचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया. पुलिस की हाइवे पेट्रोलिंग टीम सीधे सेक्टर-9 पहुंची और वहां कोऑर्डिनेशन शुरू हुआ. दाेपहर 2 बजे पेट्रोलिंग टीम बच्चे को लेकर एम्स रायपुर के लिए रवाना हुई. इस तरह समय रहते बच्चे की जान बचाई जा सकी.

2 दिन पहले भी बचाई एक जान

छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2 दिन पहले भी ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक मरीज की जान बचाई थी. पूर्व सांसद स्वर्गीय ताराचंद साहू के बेटे दीपक साहू को हार्ट की समस्या आने पर पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भिलाई से उसे रायपुर के राम कृष्ण केयर हॉस्पिटल पहुंचाया गया था.

क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर

ग्रीन कॉरिडोर एक निश्चित समय के लिए रास्ते को किसी मरीज के लिए खाली कराना या ट्रैफिक कंट्रोल करने को कहा जाता है. इसे मेडिकल इमरजेंसी जैसे कि आर्गन ट्रांसप्लांट या मरीज की क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए बनाया जाता है. इसमें 2 जिले या शहरों की पुलिस मिलकर मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तेज रफ्तार एंबुलेंस में ट्रांसफर करती है.