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कांकेर( सेंट्रल छत्तीसगढ़):- छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में इस बार दीपावली (Dipawali) का बाजार (Market) सजना शुरू हो चुका है. ऐसे में हर ओर मिट्टी के दिये (Earthen lamps) को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है. ताकि कुम्हारों (Potters) के घर भी दिवाली (Diwali) के दिये से रौशन हो. ऐसे में कांकेर (Kanker) में गोबर से दियों (cow dung lamps) को तैयार किया जा रहा है. यानी कि इस बार राजधानी रायपुर (Raipur) गोबर के दियों से रौशन होगा.
दरअसल, पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) और महिला स्वसहायता समूहों (Women self help group) को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में गोबर से बने दीए को अहम माना जा रहा है. बता दें कि रंग-बिरंगे गोबर के ये दिया पहली बार बाजार में आया है. जिसकी बिक्री छत्तीसगढ़ के बाजार (chhattisgarh markets) में तेजी से हो रही है.
कांकेर के गोबर
दिया जलने के बाद पेड़ों में होगा इसका उपयोग
बता दें कि इस दीए को दीपावली में उपयोग करने के बाद जैविक खाद बनाने उपयोग में लाया जा सकता है. इसके साथ ही दीया के अवशेष को गमला या कीचन गार्डन में भी उपयोग किया जा सकता है. इस तरह मिट्टी के दीए बनाने और पकाने में पर्यावरण को होने वाले नुकसान के स्थान पर गोबर को दीए को इकोफ्रेंडली माना जा रहा है. साथ ही इन दिनों गोधन योजना से लोगो को जहां आर्थिक आमदनी हो रही है. तो वहीं गोबर से जैविक खाद के अलावा रंग बिरंगी मूर्तियां और इको फ्रेंडली दिए का भी निर्माण किया जा रहा है.
गौठान के गोबरों से हो रहा निर्माण
सरकार गांव-गांव में पशु धन को संरक्षित के लिए गौठान का निर्माण की है. जहां गाव के गाय-बैलों को रखा जाता है. वहीं, गौठान के गोबर से गौठान समूह के द्वारा गोबर से जैविक खाद बनाने के अलावा इस दीपावली त्योहार में लाखों दिए और मूर्तिया बना कर महिला समूह द्वारा आमदनी की जा रही है.
रंग-बिरंगे दिए इस बार आकर्षण का केन्द्र
दरअसल, हम बात कर रहे है जिले के बिहान से जुड़े गौठान के महिला समूह की. जो इस दीपावली पर्व में गोबर से दिए का निर्माण कर रही हैं. बताया जा रहा है कि में लगभग 9 हजार 640 महिला समूह के 1 लाख 9 हजार महिलाओं के द्वारा अलग-अलग रोजगार मूलक कार्य किया जा रहा है. उनमें से एक काम दिए का भी है. बता दें कि इस दीपावली पर्व में अब तक 1 लाख से अधिक रंग बिरंगे दिए का निर्माण किये है. जो अब बाजार के अलावा राजधानी तक पहुच गया है. अधिकारियों की मानें तो ये दिया लोगों के लिए आकर्षक का केंद्र बन गया है.
गोधन के दियों से रौशन होगा प्रदेश
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान इन महिलाओं ने बताया कि तकरीबन ढाई किलो गोबर के पाउडर में एक किलो प्रीमिक्स और गोंद मिलाकर गीली मिट्टी की तरह सानने के बाद इसे हाथ से खूबसूरत आकार दिया जाता है. इसके बाद इसे दो दिनों तक धूप में सुखाने के बाद अलग-अलग रंगों से सजाया जाता है. जिले के सभी गौठान के महिलाओं को रोजगार रोजगार मिलने से अब गांव के महिला आत्मनिर्भर बन रही है. बता दें कि पहले गांव की महिला सिर्फ अपने घर-परिवार के काम में ही उलझी रहती थे, हालांकि मौजूदा समय में सभी इन रोजगारों में व्यस्त हो स्वाबलंबी बन गई है. इस गोबर के दिये से छत्तीसगढ़ रौशन होगा.
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