कोरोना काल की वजह से मूर्तिकारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. नवरात्रि नजदीक है, ऐसे में मूर्तिकारों को उम्मीद है कि उनकी मूर्तियां बिकेंगी. जिससे उनका जीवन यापन हो सकेगा.

कवर्धा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना: पंडरिया ब्लॉक के दामापुर ग्राम पंचायत में मूर्तिकारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कोरोना काल की वजह से इनका भी व्यवसाय बैठ गया है. जिस वजह से मूर्तिकारों को लोगों से कर्ज लेकर जैसे तैसे अपना परिवर का खर्च निकालना पड़ रहा है.

कोरोना की मार से कोई भी अछूता नहीं है. मूर्तिकारों पर भी कोरोना का असर पड़ा है. ओमकर कुम्भकार ने बताया कि जीवन यापन के लिए पूरे परिवार का मात्र एक साधन है. वो है मिट्टी की मूर्तियां और अन्य उपयोगी सामग्री. जिसे बनाकर वे जीवन यापन करते हैं. लेकिन इस साल भूखे मरने की नौबत आ गई है. मूर्तिकारों को दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. रोजीरोटी नहीं चलने से जीवन यापन के लिए दूसरों से उधार लेना पड़ रहा है. इन सभी समस्याओं को लेकर मूर्तिकारों ने सीएम भूपेश बघेल से मदद की गुहार लगाई है.

रखी रह गई मूर्तियां

राजकुमारी कुम्भकार ने बताया कि पूरे परिवार के लोग मूर्तियां बनाने का काम करते हैं. गर्मी के दिनों में मटका बना कर बेचते हैं. वहीं कोरोना की मार से मटकिया नहीं बिकी. पोला त्योहार में भी मिट्टी के बैल और मिट्टी के खिलौने भी नहीं बिके. उधार लेकर गणेशजी मूर्ति के लिए कलर और दूसरे सामान लेकर आए. जिससे बहुत ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. साथ ही इस बार सारी मूर्तियां धरी की धरी रह गईं.

मूर्ती बनाने में डर रहे मूर्तिकार

अब मूर्तिकार दुर्गा प्रतिमा भी डर-डर कर बना रहे हैं. क्योंकि जिस तरह से गणेश प्रतिमाएं धरी रह गई कहीं दुर्गा प्रतिमा भी रखी न रह जाए. मूर्तिकारों ने बताया कि अभी तक एक भी मूर्ति का ऑर्डर नहीं हुआ है.