कोरबा: हेल्थ की मीटिंग में कलेक्टर के कड़े तेवर.. लाखों की सैलरी लेने वाले डाक्टरों का 2 साल का OPD रिकार्ड किया तलब.. बोली “सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस बर्दाश्त नहीं, दिखाना होगा परफॉर्मेंस”.

कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़): स्वास्थ सुविधाओं को लेकर कोरबा की नयी कलेक्टर रानू साहू आज एक्शन मेें नजर आई। कलेक्टर ने साफ कर दिया है कि डीएमएफ से लाखों की सैलरी लेने वाले डाक्टरों को परफारर्मेंस देना होगा, मरीजों के बेहतर उपचार को लेकर डाक्टरों के परफारर्मेंस पर अब मानिटरिंग की जायेगी। वही सरकारी अस्पताल को छोड़ अपनी निजी क्लीनिक और ओपीडी सेंटर में प्रेक्टिस करने वाले डाक्टरों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। कोरबा कलेक्टर रानू साहू जिले की स्वास्थ सुविधाओं को लेेकर आज सुबह से ही ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर हकीकत जानने में लगी रही। सुबह सबसे पहले मेडिकल कालेज भवन का निरीक्षण करने आईटी कॉलेज पहुची। इसके बाद ESIC कोविड हॉस्पिटल और वैक्सीनेशन सेंटर का आक्समिक निरीक्षण किया गया। मौके का मुआयना करने के बाद कलेक्टर स्वास्थ विभाग के डॉक्टर्स और अफसरों की बैठक ली।

बैठक में प्राथमिक स्वास्थ केंद्र सहित जिला अस्पताल में स्वास्थ सुविधाओं को लेकर जानकारी ली गयी। अधिकारी आकड़ो की बाजीगरी पेश कर पाते उससे पहले ही कलेक्टर रानू साहू ने जिला अस्पताल में संचालित सोनोग्राफी सेंटर में प्रतिदिन होने वाले सोनोग्राफी की जानकारी मांग ली । डाक्टर्स ने प्रतिदिन 20 मरीजों का सोनोग्राफी होने की बात कही। इसके बाद जिला खनिज न्यास मद से भर्ती डाक्टरों के परफारर्मेस पर जानकारी लेने के साथ ही जिले में संचालित शासन की स्वास्थ योजनाओ की स्थिति जानी। कलेक्टर के सवाल और मेडिकल अफसरो के जवाब जिले में व्याप्त स्वास्थ व्यवस्था की हकीकत बयां कर रहे थे। फिर क्या था कलेक्टर रानू साहू ने तत्काल डीएमएफ से भर्ती डाक्टरों के साथ ही जिला अस्पताल में पदस्थ डाक्टरों की 2 साल की ओपीडी और आईपीडी रिकार्ड जांच के लिए पेश करने का आदेश दे दिया।

कलेक्टर ने सख्त लहजे में मेडिकल अफसरो को चेताते हुए साफ कर दिया कि डीएमएफ फंड से ढाई-ढाई लाख रूपये की सैलरी लेने वाले डाक्टरों को परफारर्मेंस देना होगा, अगर डाक्टरों की भर्ती मरीजों को बेहतर स्वास्थ लाभ देेने के लिए किया गया है, तो उन्हे अस्पताल को रेफरल सेंटर न बनाकर मरीजों का उपचार करना ही पड़ेगा, यदि इसमें लापरवाही बरती जाती है, तो ये बर्दाश्त नही किया जायेगा। कलेक्टर रानू साहू के सख्त तेवर को देखकर स्वास्थ विभाग मेें हड़कंप मचा हुआ है। वहीं ऐसे डाॅक्टर जो सरकारी अस्पताल में हाजिरी लगाकर अपने निजी क्लीनिक में प्रैक्टिस करते है, उनकी नींद उड़ गई है।