कोरबा: सरकारी आदेशो को शासकीय अफसर ही नही दे रहे तवज्जो.. तबादले को गुजर गए सालभर पर नही छूट रहा कुर्सी का मोह.. पढ़े क्या है पूरा मामला..

पाली (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) ब्यूरो रिपोर्ट कोरबा :- यह मामला आए दिन सुर्खियों में रहने वाले महिला एवं बाल विकास विभाग का है चाहे वह सुखा राशन ,रेडी टू इट या भवन पुताई का मामला हो उन सब में गड़बड़ी के चलते यह विभाग हमेशा सुर्खियों में रहा है वर्तमान में ऐसा ही एक मामला महिला बाल विकास विभाग कार्यालय पाली का सामने आया हैं इसमें पाली कार्यलय की एक पर्यवेक्षक सुश्री जयंती कुजूर जिनका लगभग 1 वर्ष पूर्व स्थानांतरण हो चुका है इसके बावजूद ये आज तक पाली कार्यालय में ही डटी हुई है
जानकारी के अनुसार महिला बाल विकास कार्यालय पाली की पर्यवेक्षक सुश्री जयंती कुजूर जिनको सेक्टर मक्खनपुर का प्रभार दिया गया है आज दिनांक तक शासन के बार-बार निर्देशित करने के बावजूद भी भार मुक्त नहीं किया गया है मामले के पीछे कारण क्या है समझ से परे है सुश्रीजयंती कुजूर काफी लंबे समय से पाली कार्यालय में पर्यवेक्षक के पद पर पदस्त हैं जिनको 2014 में शासन के द्वारा स्थानांतरण कर कुनकुरी भेजा गया था किंतु वर्ष 2018 में इनके द्वारा अपना स्थानांतरण पुनः पाली करा लिया गया
इसके पश्चात 8/ 11/ 2019 को छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर के आदेश से एकीकृत बाल विकास परियोजना पाली जिला कोरबा से एकीकृत बाल विकास परियोजना कुंडा जिला कबीरधाम छत्तीसगढ़ इनका स्थानांतरण किया गया था ।


किंतु इनके द्वारा माननीय उच्च न्यालय बिलासपुर में पिटीशन दायर कर स्टे लगा कर स्थानांतरण को रोका गया
इसके पश्चात छत्तीसगढ़ शासन महिला बाल विकास विभाग रायपुर के द्वारा पत्र के माध्यम से सुश्री जयंती कुजूर पर्यवेक्षक को प्रकरण के निराकरण व सुनवाई हेतु नियत की गई थी इसके पश्चात सूश्री जयंती कुजूर के द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन को अमान्य कर निरस्त कर दिया गया एवं स्थानांतरित स्थान एकीकृत बाल विकास परियोजना कुंडा जिला कबीरधाम में कार्य ग्रहण करने के हेतु आदेशित किया गया किंतु अब तक महिला एवं बाल विकास कार्यालय पाली के परियोजना अधिकारी के द्वारा इनको भार मुक्त ना करना और स्थानांतरण के बावजूद माखनपुर सेक्टर का प्रभार में इनका डटे रहना समझ से परे है आखिर क्यों संबंधित विभाग विभाग के अधिकारी उन्हें भार मुक्त करने से डरते हैं और इस विषय पर जब परियोजना अधिकारी से चर्चा की गई तो उन्होंने पत्र के माध्यम से सुश्री जयंती कुजूर को भार मुक्त करने का उचित मार्गदर्शन उच्च अधिकारियों से मांगने की बात कही जबकि परियोजना अधिकारी चाहे तो स्वयं इतने सक्षम हैं कि उन्हें भार मुक्त कर सकते हैं इसके लिए उन्हें किसी से मार्गदर्शन की आवश्यकता की जरूरत नहीं है और सोचने वाली बात यह भी है कि इस बीच पाली कार्यालय में कई परियोजना अधिकारी पदस्त रहे किन्तु किसी के द्वारा इन्हें भार मुक्त न कर पाना कहि उनकी मजबूरी ,या कोई दबाब या कोई भ्रस्टाचार का खेल तो नही फिलहाल देखना है यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद उनका स्थानांतरण हो पाता है या पूर्ववत सुश्री जयंती कुजूर यहीं डटी रहती है……..

सेंट्रल छत्तीसगढ़ ब्यूरो रिपोर्ट कोरबा…..।

शशिकांत डिक्सेना की रिपोर्ट……।