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कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) अशुतोष शर्मा: छत्तीसगढ़ के सरगुजा में बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. अब तक 30 प्रतिशत भी धान की बुवाई और रोपाई का काम नहीं हो सका है. सावन का आधा महीना बीतने को है मगर मौसम की बेरुखी बरकरार है. ऐसे में धान की खेती करनेवाले किसान उदास हैं. कमोबेश समान स्थिति कोरबा जिले की भी है. कोरबा में भी बारिश नहीं होने से धान की खेती की समस्या पैदा हो गई है. कुछ किसान किसी तरह धान की रोपाई कर ले रहे हैं तो तेज धूप के कारण पत्तियां पीली पड़ जा रही हैं.
कोरबा जिले के पाली तानाखार विधानसभा में पोंडी उपरोड़ा व पसान में अब तक सबसे कम 40 प्रतिशत वर्षा ही हुई है. बारिश का आंकड़ा बीते साल की तुलना में औसत से काफी कम है. इतनी बारिश में धान की खेती नहीं हो सकती. इस साल अगस्त महीने तक पर्याप्त वर्षा नहीं होने से किसानों की मुसीबत बढ़ जाएगी. प्रशासन ने बिलासपुर संभाग के सभी जिलों में सूखे की स्थिति को देखते हुए रोजगार मूलक योजना पर काम शुरू कर दिया है. शासन की ओर से भी अल्प वृष्टि का आंकड़ा मंगाया जा रहा है.
पोंडी उपरोड़ा व पसान क्षेत्र को सूखा घोषित करने की मांग
पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र से विधायक एवं मुख्यमंत्री अधोसंरचना एवं उन्नयन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मोहितराम केरकेट्टा ने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन को पत्र लिखकर पोंडी उपरोड़ा व पसान क्षेत्र को सूखा घोषित कर किसानों की फसल का मुआवजा देने और गांव में रोजगार मूलक काम शुरू कराने की मांग की है. राजस्व एवं आपदा प्रबंधन के नाम लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ में हो रही खंड वृष्टि कोरबा जिला के साथ साथ पाली तानाखार विधानसभा के पोंडी उपरोड़ा एवं पसान क्षेत्र प्रभावित है. उत्तर छत्तीसगढ़ में न के बराबर वर्षा हुई है. वास्तविक रूप से जरूरत भर बारिश नहीं हुई है. बारिश नहीं होने से किसानों में हताशा और निराशा है.
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किसान कर्ज लेकर खेती किसानी का काम शुरू करना चाहते थे लेकिन आज तक वर्षा नहीं होने से भीषण सूखे की स्थिति बन गई है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का काम भी संचालित नहीं है. इसलिए क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित कर तत्काल किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।
मौसम वैज्ञानिकों ने बताई वजह
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि अभी वर्षा का कोई सिस्टम उत्तरी छत्तीसगढ़ में नहीं बन रहा है बल्कि दक्षिणी छत्तीसगढ़ की तरफ सिस्टम ज्यादा प्रभावी रहा है. शुरआत में उत्तरी छत्तीसगढ़ में प्रभावी हुआ था लेकिन मेघालय, शिलांग की तरफ चला गया. इसके बाद बना सिस्टम दक्षिण छत्तीसगढ़ में ही सक्रिय रहा. वर्षा होने के लिए आवश्यक होता है कि मानसून द्रोणिका हमारे आसपास से गुजरे. कोई चक्रवाती परिसंचरण बंगाल की खाड़ी से अपनी तरफ आए, अवदाब केंद्र बने लेकिन इस बार उत्तरी छत्तीसगढ़ की तरफ ऐसा नहीं है.
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